बुरा ना मानो होली है- राष्ट्रीय किक

‘बुरा ना मानो होली है!’ यह महान कथन हमारी भारतीय धरोहर है जिसे आज तक हमसे कोई ले नहीं पाया है। यह वाक्य इतना प्रभावी है कि कई लोग तो होली आने के महीने भर पहले से बुरा मानना छोड़ देते हैं और होली जाने के महीने बाद तक वापस बुरा नहीं मानते हैं। ऐसे लोगो को अक्सर से फोन करके बताना पड़ता है कि अब आप बुरा मानना शुरू कर दीजिए वरना देश की अर्थव्यवस्था चरम मारा जाएगी

‘बुरा ना मानो होली है!’ इस मूलवाक्य को गढ़ने वाला धर्मप्रेमी व्यक्ति का कोई भी कण , पुरातत्व विभाग की दीमक से सुरक्षित फाइल्स में नहीं मिलता है। लेकिन इस वाक्य की रचना करने वाले व्यक्ति का जरूर दूसरे त्योहारों से 36 का आंकड़ा रहा होगा, वरना वो जरूर होली के साथ दीपावली, राखी और अन्य त्योहारो पर भी बुरा ना मानने का अंतरराष्ट्रीयव्यापी आह्वान करते ।

ज्यादातर त्योहार विशेषज्ञ टाइप लोग मानते हैं कि सभी त्योहारो पर बुरा ना मानने की अपील स्वाभाविक भारतीय मानसिकता का अपमान हो सकती है और बुरा मानने पर रोक लगने से समाज में अराजकता फैल सकती है इसलिए केवल एक त्योहार पर अंकुश लगाया गया है ताकि अन्य त्योहार, लोग बिना किसी अर्जी के अपनी मर्जी से मना सकें।

यह देश का दुर्भाग्य ही है कि प्रधानमंत्री ‘बुरा ना मानो होली है’ जैसे कल्याणकारी और मानव मात्र के परम हितैषी रामबाण को ‘आज तक’ किसी भी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा शब्द नहीं बनाया है। मतलब इसे सरकारी संरक्षण प्रदान नहीं किया। अगर बैंकों के साथ-साथ इस वाक्य का भी राष्ट्रीयकरण कर दिया जाता, तो आज देश और देशवासियों को इस वाक्य का केवल निजी रूप से उच्चारण करने से निजात मिल सकती थी।

अब समय आ गया है कि सरकार हर वर्ष होली के महीने में पूरे माह ‘बुरा ना मानो महोत्सव’ मनाकर इस दिशा में कदम और नखरे दोनों उठाए। इस महोत्सव में सरकार को घोषणा करनी चाहिए कि वो इस अवधि के दौरान हुए किसी भी घोटाले का बुरा नहीं मानेगी और घोटाले कर के विदेश भाग जाने वाले की कड़ी निंदा करके उसकी बददुआ और मुसीबत मोल नहीं लेगी।


अगर इस महोत्सव के दौरान कोई सार्वजनिक रूप से बुरा मानता हुआ मिले तो तुरंत उसका चालान और चिकोटी काटी जानी चाहिए। बुरा मानने की रोकथाम के लिए पल्स पोलियो की तर्ज पर टीकाकरण अभियान चलाया जाना चाहिए। समाज के ‘गणमान्य’ व्यक्तियों को भी सरकार की इस पहल का स्वागत करते हुए इस अवधि में बुरा ना मानने के लिए उकसाना चाहिए।

‘बुरा ना मानो महोत्सव’ के दौरान सरकार चाहे तो नोटबंदी और जीएसटी, लोकडाऊन जैसी महान अलौकिक किक देती रही है। इस दौरान जनता भी टैक्स चोरी करके सरकार के साथ-साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस महोत्सव को सफल बना सकती है। अगर सरकारें नीति आयोग के वार्षिक कार्यक्रमों में अकर्मण्यता और अकुशलता की तरह ‘बुरा ना मानो महोत्सव’ को भी शामिल कर ले तो जनता अपना आधार कार्ड, सरकारी योजनाओं के साथ-साथ असरकारी सुख-चैन से भी लिंक करने में सफल होगी।