वैलेंटाइन डे व्यंग्य: हँसते हँसते वैलेंटाइन मिल जाएंगी

व्यंग्य लेख

बहुत कम युवाओं को इतिहास की खबर है की वैलेंटाइन डे मनवाने के लिए पहले खुद की बलि देनी पड़ती है . 270 AD के दौरान शादी जैसे भयंकर महामारी को बढ़ाने का दुस्साहस करने वाले वैलेंटाइन जी को उनके चर्च के पोप क्लॉडियस ने बोला “बेटा मान जाओ कंट्रोल में रहो ,शादी वादी कराने पर ध्यान मत दो. शादी से आदमियों की ताकत और फोकस दोनों घट रही है.”

लेकिन वैलेंटाइन ने हल्का सा गांजा मार रखा था और इस वजह से वह केवल वादी पर ध्यान दे पाए और वादियों में जाना बंद कर दिया.

लेकिन शादी जैसे जघन्य अपराध करवा कर उन्होंने उसकी क्लॉडियस की मुंछे जला दी

माना तो यह जाता है की क्लॉडियस जिलेट से सेव करा करते थे. .पोप को पॉप पसंद था और ये शादी का जाप सुना रहे थे.

वार्निंग खाने के बाद भी वैलेंटाइन नहीं माने और क्लॉडियस ने उन्हें जेल में चक्की पीसिंग का आदेश दिया. अंग्रेजों के जमाने के जेलर बॉलीवुड जेलरों की तरह करुणा से भरे हुआ करते थे ,लेकिन उन्हें अपना काम भी करवाना होता था.

जेलर ने अपनी बेटी को ठीक करवाने के लिए वैलेंटाइन से सेटिंग कर ली. वैलेंटाइन जी उनकी बेटी को ठीक तो कर दिया प्यार जैसे भयंकर महामारी के चपेट में आ गए. शादी कराने का नशा तो पहले से ही कर रहे थे और इसलिए अपनी शादी भी करा ली.

इसका पता चलते ही क्लॉडियस की जली हुई मुंछे फिर जल गई.

उन्होंने वैलेंटाइन को सजा-ए-मौत की उनके फरमान को मारने को कहा. वैलेंटाइन संत आदमी थे उन्होंने बोला “तुमको अगर इसमें खुशी मिलती है तो चलो तुम्हारे लिए, यह भी सही”

वैलेंटाइन ने अपनी माशूका और बीवी को इस खबर को देने के लिए एक खत लिखा. खत के अंत में आपका वेलेंटाइन लिखकर भेज दिया.

पोप क्लॉडियस ने पॉप गाना सुनते हुए 14 फरवरी , 289 AD को वैलेंटाइन को फांसी देखकर जन्नत भेज दिया .इस प्रकार इतिहास में दर्ज होने के बाद आज भी मजनू रांझा जैसे किरदारों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं

पश्चिमी समाज का एंटी रोमियो स्क्वाड रोमियो को ढूंढने में लगा पड़ा है. भारत में वैलेंटाइन डे पर्व मनाने की प्रथा कुछ 25- 30 सालों में ज्यादा प्रचलित हुई है.

आर्थिक प्रगति के कारण शहरी जंगल में मादा युवतियों का घूमना आम हो चुका है. आम के दीवाने और वैलेंटाइंस के फैन बहुत सारे अपकमिंग बैलेंटाइंस मार्केट में अपनी जगह बनाने की कोशिश करते हैं.

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लेकिन शादी वाली महामारी आज के समय में भी बरकरार है . इसलिए समय से आगे सोचने वाले बजरंग दल जैसे सामाजिक संस्थान वैलेंटाइन डे का विरोध करते हैं.

उधर अमेरिका बनने की चाह में यूपी सरकार नेवी ने भी एंटी रोमियो स्क्वाड बनाकर मजनू को ढूंढ रही है.

संत वैलेंटाइन का असर ढोंगी बाबाओं पर भी काफी रहा है.

वैलेंटाइन बनने की चाह में ही बाबा लोग जेल जा रहे हैं.

उस जेलर का इंतजार रहे हैं जिसके बाद वह वेलेंटाइन घोषित कर दिए जाएंगे.

इसलिए वैलेंटाइन डे पर वैलेंटाइन ना बने वरना अंत कयामत से कयामत तक जैसा होता है .

आप कोशिश करिए की फांसी भी ना आए और लड़की भी मिल जाए.