Real horror story in hindi for reading

डायन के बदले की आग( real horror story in hindi)

महराष्ट्र के नांदेड़ ग्राम के नजदीक रायपुर इलाके में आज भी खून की प्यासी डायनों का बसेरा है। स्थानीय लोगो का मानना है। कि यहां रात में गुजरने वाले लोगो को डायन पहले तो अपने वश में करती लेती है और बाद में उस इंसान का खून पीकर स्वय को खुश करती हैं। वहा माना जाता है कि यह इलाका डायनो का है। यहां पर इंसान का कदम रखना खतरे से खाली नहीं है।

और अगर आप वहा पर गए तो किसी तरह की चूक आपके लिए काफी नुकसान दयाक साबित हो सकती है। अगर आपको यह यकीन ना हो तो आप यहां पर किसी भी पेड़ों में कील गाड़ कर खुद ही देख लीजिए। लेकीन आप लोगो का मौत से सामना जरूर हो जाएगा। आप लोगो को भले ही यह अंधविश्वास या उनश्रद्धा लग रहा हो तो। इस भूतिया गांव का यही दस्तूर है।

इस भूतिया गांव को अभिशप्त माना जाता है। यहां पर एक-दो नहीं बल्कि सारे इलाको में डायनों का बसेरा जमा हुआ है। नांदेड़ के निकट इस छोटे से गांव में डायनों की अब पूरा राज्य बसा हुआ है। यहां पर ऐसा माना जाता है। कि पहले यहां एक डायन रहा करती थी। लेकिन डायन ने गांव की कुछ लड़कियों की आत्मा को अपने वश में करके उनको अपने साथ लगाई ।

आज वही लड़कियां इन डायनों के साथ मिलकर खुद को अमर रखने की कोशिश करती है। यह गांव की वही जगह है।जहाँ वास्तविकता में यहा के पुरुषों को रात में निकलने पर प्रतिबंध है। कब किस कौन सी जगह पर डायन उन्हें अपने वश में करले कोई नहीं जानता है । अभी तक यहा पर कुल 42 ऐसे मामले आचुके हैं। जिन मेसे पुरुष लापता हो गए ।

लेकिन उनका अभी तक कोई अता-पता नहीं चला है। यही माना जाता है कि डायन उन पुरुषो को डायन ने मार दिया होगा| रायपुर में पेड़ों को काटने पर भी प्रतिबंध लगाई है । यहां पेड़ों के उपर डायनों के रहने की बात बताई जाती है। एक बार एक पेड़ काटने पर गांव के एक मनुष्य की मौत हो गई थी। तब से ही माना जाता है कि डायन का पेड़ काटने पर ही उसकी मौत हुई।

यहां पर एक टूटी हुई हवेली के अंदर एक छोटी सी कोठरी है। जिसमें कोई भी नहीं आता जाता है और माना जाता है कि इस अंधेरी कोठरी में जो भी गया। वो वापस कभी लौट कर नही आया है। 16 लोगों की मौत की गवाह इस भूतिया कोठरी को यहां के प्रशासन ने भी सील कर दिया है। डायनों को अपने वश में करने के लिए यहा पर कई तांत्रिकों ने अपनी पूरी शक्ति लगा दी।

लेकिन इस बीच 5-6 तांत्रिकों को भी मौत हो गई । जिसके बाद तांत्रिक भी यहां की डायनों को अपने वश में करने से घबराने लगे। कहा जाता है कि गांव में हर अमवस्या और पूर्णिमा की रात को कोई बहार नहीं निकल। हालांकि यह काफी पुरानी बात है।

अब लोग अपने घरों को अच्छे से बंद करके घरो में रहते हैं। गांव के कुछ लोगों ने यह अनुभव किया है कि अक्सर रास्ते में चलते वक्त उन्हें अजीबोगरीब आवाजें सुनाई देती है।

लेकिन पीछे मुड़ने पर कोई नहीं होता। गांव के रंजीत नाम के व्यक्ति ने तो अपनी बाइक पर एक डायन को लिफ्ट तक दी थी। काफी लंबा रास्ता तय करने के बाद उसे अहसास हुआ कि उसके पीछे कोई बैठा हुआ है पर उसने जब पीछे मुड़ कर देखा तो कोई नही था। रायपुर के लोगो का मानना है।

कि यहां कई साल पहले एक खूबसूरत महिला के साथ गांव के कुछ लोगों ने बलात्कार किया था। उसे बंदी बनाकर रख लिया और बाद में उस महिला की बेरहमी से हत्या कर दी। इसके बाद वही डायन बनकर यहाँ अपना बदला पूरा करती है।

एक राजा की आत्मा

Hindi Horror Story

भारत के कई हिस्सों में प्राचीन समय का बहुत सा खजाना गड़ा हुआ है। जिसे चोरी हो जाने के डर से जमीन में गाड़ देते थे। और उनकी मौत के बाद वो सोना-चांदी कही धरती के गर्भ में गड़ा हुआ रहेता था।

ऐसा ही एक घटना मध्य प्रदेश के खेड़ा गांव में हो रही है। जहा के एक आदमी को एक आत्मा ने बताया की इस हवेली के नीचे सोना-चांदी गडा हुआ है। तो उसने अपनी सरकार को बताया की एक राजा की आत्मा ने मुझको बताया कि जमीन में गडा 10,000 टन सोने का रहस्य उसने मुझे बताया।

जो आज के सोने के रेट के हिसाब से इसकी कीमत तो 200 अरब रुपये के लगभग होगी । कौन थे राजा राम बक्ष ? कहा से आया है यह सोना ? कैसे मौत हुई राजा की ? आइये इन सारे पहलुओ पर प्रकाश डाले के लिए इतिहासकार चंद्रकांत तिवारी के अनुसार क्रांतिकारी शूरवीर राजा ने सन् 1857 की क्रान्ति के दौरान अंग्रेजों को जला दिया था । वह कौन थे और कब से वह इस किले में रह रहे थे। ये किसी को स्पष्ट मालूम नहीं था।

यहां के इतिहासकारों की माने तो 4 जून 1856 की क्रान्ति में डिलेश्वर मंदिर में छिपे बारह अंग्रेज को जिन्दा जला दिया था। इसमें जनरल डीलाफौस भी मौजूद थे। कहा जाता है कि राजा चंडिका देवी के बहुत बड़े भक्त थे। वह रोजाना सुबह मां चंडिका के दर्शन करने के बाद ही सिंघासन पर बैठते थे।

लोगों के अनुसार राजा पूजा करने के बाद अपने गले में एक फूलो की माला जरुर पहनते थे। यही वजह है कि अंग्रेजो को जिन्दा जलाने की सजा के रूप में फांसी की सजा सुनाई गयी. और उनको फांसी पर लटकाया गया । तो उन्हें कुछ नहीं हुआ।

इस तरह तीन बार उनको फांसी दी गयी मगर राजा को कुछ नहीं हुआ।तब राजा राव राम बक्स सिंह ने अपने गले में पड़े फूल की माला को उतार कर फेंका और यमुना से अपनी आगोश में लेने की प्रार्थना की।

उसके बाद जब अंग्रेजो ने उनको फांसी पर लटकाया। तब उनके प्राण शारीर से निकल गए थे । और उस इंसान को को जिस आत्मा ने बताया था । वो आत्मा वही होगी । इसके बाद उस आदमी को थोड़ा बहुत रुपिया मिला और सारा खजाना सरकार को मिल गया।

ब्रह्मम राक्षस Horror Story

Hindi Horror Story. यह कहानी एक ब्रह्मम राक्षस की है। उस राक्षस का नाम है ब्रह्मम राक्षस है। इस पर कई कहानियां बनाई जाती है और राक्षस के अनेक नाम होते हैं। जैसे की पिसाच,राक्षस,डायन,चुड़ैल,आदि बहुत से नाम होते हैं। तो दोस्तों चलो मैं अपनी कहानी पर आता हूँ। हमारे गांव मैं एक ब्राह्मण रहते है। जिनका नाम दुर्जन सिंह है। दुर्जन सिंह को लोग दुर्जनजी कहकर बुलाते हैं। उनके घर से कुछ दूरी पर एक खेत था।

उस खेत में एक बहुत बड़ा बरगद का पेड़ था। वह बरगद का पेड़ बहुत पुराना था।कुछ समय के बाद उन्होंने उस खेत पर घर बनाने की सोची। पहले वाला घर बहुत छोटा होने की वजह से उन्होंने खेत पर घर बनाने की सोची। उन्होंने उस बरगद के पेड़ को काट वाया और अपना घर बनवा लिया। कुछ दिन तो ठीक ठाक चला पर कुछ दिन बाद दुर्जनजी बड़े परेशान रहने लगे। वह कभी पूजा करते और कभी नहीं।

तो उनकी बीवी ने उनके बदले स्वभाव को देख कर पुछा की तुम आज-काल पूजा नहीं करते हो और आज कल बदले-बदले से रहते हो। कभी बच्चो को डांटते रहते हो। तुम्हे हुआ क्या है? दुर्जनजी के चेहरे पर मुस्कान आई और वह कहने लगे मेरे घर को तोड़ कर अपना घर तो बना लिया है। और इसे क्या पूजा करने के लिए कह रही हो। मैं हितों भगवान् हूँ। इसे पूजा करने की कोई जरूरत नहीं हैं। वो कभी दांत मिजते कभी बड़े प्यार से बोलते कभी आंखें लाल तो कभी सही हो जाते।

उनकी बीवी के शक हो गए। की ज़रूर किसी का साया है और वो बाते ऐसे नही करते हैं। जैसे की उनके अंदर से दो लोग बोल रहे हों। तब उनकी बीवी ने उनको बिठाकर हनुमान चालीसा पढने लगी। वो सोच रही थी अगर कोई होगा

तो भाग जायेगा पर दुर्जनजी पर उसका कोई असर नहीं पड़ा रहा था। वह एक टक लगाये देखे जा रहे थे।उनकी बीवी काफी मंत्र और गायत्री मंत्र पड़े । तभी दुर्जनजी की आंखें लाल हुई और कहने लगे की मैं किसी से नहीं डरने वाला नही हु और तू क्या समझ रही है। मैं इसे ऐसे नहीं छोड़ने वाला हू ।

तब तक उसका छोटा बच्चा वहां आ गया। दुर्जनजी ने उसे जोर से पकड़ कर अपनी तरफ खींचा लिया और ऐसा लग रहा था की उसके सिर को कच्चा ही चबा जाएगे। उसकी मम्मी बोली कि बच्चे को छोड़ दो इसने क्या तुम्हारा बिगाड़ा है।

दुर्जनजी की पत्नी ने अपने बच्चे को अपनी तरफ खीच लिया। उसने फिर पुछा तुम कौन हो और मेरे पति के अंदर क्यू आए हो। आप हमसे क्या चाहते हो?आप हो कौन? तब उसने कहा की अगर अपना भला चाहती हो तो बरगद के पेड़ लगाओ जितना भी हो सकें। पेड़ लगाओ फिर मैं बताऊँगा कि मैं कौंन हूँ और फिर मैं चला जाऊँगा। तब दुर्जनजी की बीवी ने एक सौ एक पेड़ बरगद के लगाये।

एक दिन उसकी पत्नी ने देखा की आज दुर्जनजी सुबह उठकर पूजा पाठ कर के आ चुके हैं। तब दुर्जनजी के अंदर जो साया था उसने बोला मैं तुम्हारे पति को आज छोड़ के जा रहा हूँ। तुम सदा सुखी रहो तुम्हारे आचार-विचार बहुत अच्छे हैं। मैं ब्रह्मम राक्षस हूँ। वैसे मैं किसी को नहीं छोड़ता और न ही किसी से डरता हूँ।

तुम्हारे पति ने मेरे बरगद को काट दिया था। जिस पर मैं हजारों सालों से रह रहा था। मुझे गुस्सा तो आया पर मैं तुम्हारी अच्छाई के कारण मैंने इन्हें छोड़ कर जा रहा हूँ। तुम्हारे पति को छोड़कर तब दुर्जनजी अचानक सही हो गए। तब दुर्जनजी की बीवी की आँखों से आशु निकल आए। तो दोस्तों अगर बुरे के साथ अगर तुम अच्छा करोगे तो एक दिन वह भी अच्छा हो जाता है।

नाना और मजदूर की पत्नी

ठंड का समय था, शहर में घना कोहरा छाया हुआ था. मेरे नाना एक बड़े अधिकारी थे. रोज की तरह उस दिन जब मेरे नाना अपना काम खत्म कर दफ्तर से घर की ओर जाने लगे तो रास्ते में पड़ने वाले बाजार से वह कुछ सामान लेने के लिए रुके. उनके बाकी साथी आगे चले गए और वो पीछे छूट गए.

सामान लेते-लेते उन्हें टाइम का पता ही नहीं चला और जब नानाजी ने अपनी घड़ी देखी तो टाइम देखकर उन्हें लगा कि आज घर पहुंचने में बहुत देर हो जाएगी. उन्होंने सोचा जंगल के रास्ते अगर जाऊं तो जल्दी पहुंच जाऊंगा इसीलिए उन्होंने जंगल की ओर गाड़ी घुमा ली. काफी अंधेरा हो गया था. नानाजी तेज गति के साथ गाड़ी चला रहे थे लेकिन उनकी गाड़ी के एक आगे एक औरत आ गई. उन्हें झटके से ब्रेक मारनी पड़ी. जो औरत गाड़ी के सामने आई थी वह तेज-तेज रो रही थी.

नानाजी को लगा कि वह जरूर किसी मजदूर की पत्नी होगी जो रास्ता भटक गई है. रास्ता सुनसान था इसीलिए उन्होंने सोचा कि इस महिला की मदद की जाए. उन्होंने उस औरत से पूछा कि वह यहां अकेले क्या कर रही है? उसने कोई जवाब नहीं दिया और जोर-जोर से रोने लगी. ऐसा लग रहा था मानो सारा जंगल उसकी आवाज से गूंज रहा हो. नानाजी ने पूछा कि उसका घर कहां है, तो भी वह कुछ ना बोली.

नानाजी ने उसे बोला कि तुम मेरे साथ मेरे घर चलो सुबह तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ दूंगा. वह नानाजी के साथ चलने के लिए तैयार हो गई और गाड़ी के पीछे वाली सीट पर बैठ गई.

रीति-रिवाज के कारण उसने अपने सिर पर घूंघट डाल रखा था जिसकी वजह से उसका चेहरा छिपा हुआ था. गाड़ी पर सब नानाजी का इंतजार कर रहे थे जैसे ही गाड़ी की आवाज आई सब भाग कर इकट्ठा हो गए.

जब उस महिला के बारे में घर में पूछा गया तो नानाजी ने सारी कहानी बताई. नानाजी ने कहा आज खाना यही बना देगी. लेकिन मेरी मां को उस महिला पर शक हो गया. उन्हें लगा कि यह कोई चोर है जो घर का सामान चुराकर भाग जाएगी. मां ने उसे रसोई में जाकर खाना बनाने को कहा, वह बिना कोई जवाब दिए वहां से चली गई. रसोई में से अजीब से आवाजें आ रही थीं बस.

रसोई में सारा सामान रखवा कर मेरी मां ने उसे कहा कि सब भूखे हैं इसीलिए जल्दी खाना बना दे. उसे रसोई में भेज तो दिया लेकिन मां का मन अभी भी शांत नहीं हुआ. 10 मिनट बाद मां रसोई में पहुंची तो देखा अभी वह थैले में से मछलियां निकाल ही रही थी. यह देखकर मां को गुस्सा आ गया. उन्होंने उसे बोला कि अभी तक तुमने खाना बनाना शुरू नहीं किया, कब बनेगा और कब हम खाएंगे.

उस महिला का चेहरा अभी भी ढका हुआ था इसीलिए किसी ने उसका चेहरा नहीं देखा था. मां उसका चेहरा देखने की कोशिश करती रही लेकिन उन्हें उसकी झलक भी दिखाई नहीं दी. मां ने कहा कोई जरूरत हो तो बुला लेना लेकिन फिर भी वह कुछ नहीं बोली. उन्हें लगा कि शायद अंजान लोगों से डर रही होगी. मां रसोई से चली गई लेकिन जब 10 मिनट बाद वह फिर वापस आई तो रसोई का दृश्य देखकर मां डर गई. उनके पैर जैसे वहीं जम गए. उनके गले की आवाज नहीं निकल रही थी.

उन्होंने देखा वह औरत रसोई के स्लेप पर बैठकर कच्ची मछलियां खा रही है. सारी रसोई में हड्डियां और मांस के टुकड़े बिखरे पड़े हैं.

उसके सिर का घूंघट भी उतरा हुआ था, उसका चेहरा बेहद खौफनाक था. बाल बहुत बड़े और नाखून एक दम काले. वह मछलियां खाने में मगन थी इसीलिए उसका ध्यान मां पर नहीं गया. मां भी चिल्लाई नहीं कि कहीं वह और ज्यादा खतरनाक न हो जाए.

मां ने एक थाल उठाया और वह चूल्हे में से जलता हुआ कोयला उठाकर उसकी तरफ दौड़ी. कोयला उस चुड़ैल पर फेंक दिया, आग की जलन की वजह से वह डायन तेज-तेज आवाजें निकालने लगी. उसकी आवाज सुनकर सारा घर इकट्ठा हो गया.

उसे आग दिखाकर घर से बाहर निकाला गया. उसकी आवाज इतनी तेज थी कि आसपास के लोगों का भी बाहर जमावड़ा लग गया. वह डायन लोगों की भीड़ को हटाते हुए जंगल की तरफ दौड़ी, सारे लोग डर के मारे कांप रहे थे और मेरी मां की हिम्मत की दाद भी दे रहे थे कि अगर उन्होंने सही समय पर कोयले से उस डायन को भगाया नहीं होता तो ना जाने क्या हो जाता.