37वें ASEAN समिट में एशिया-पेसिफिक के 15 देशों ने दुनिया की सबसे बड़ी ट्रेड डील RCEP पर साइन की हैं। इस डील में शामिल देशों की जीडीपी 26 लाख करोड़ डॉलर यानी दुनियाभर की कुल जीडीपी के 30% से ज्यादा है। क्या है RCEP? जानिए भारत ने इस डील से बाहर रहने का फैसला क्यों किया है…
RCEP in hindi
रीजनल कॉम्प्रेहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) एक ऐसी ट्रेड डील है जिसमें शामिल देश एक-दूसरे को मार्केट उपलब्ध कराएंगे। इस डील में शामिल देश अपने-अपने देशों में इम्पोर्ट ड्यूटी को घटाकर 2014 के स्तर पर लाएंगे। सर्विस सेक्टर को खोलने के साथ ही सप्लाई और इन्वेस्टमेंट की प्रक्रिया और नियम सरल बनाएंगे। इस डील में शामिल ज्यादातर देश चीन पर निर्भर हैं।
कौन से देश RCEP Trade deal में शामिल है
ये देश हैं ट्रेड डील में शामिल : ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, कोरिया और न्यूजीलैंड के साथ ही इस ट्रेड डील में कम्बोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलिपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम और ब्रुनेई दार-ए-सलाम शामिल हैं।
भारत क्यों नहीं हुआ RCEP ट्रेड डील में शामिल? :
भारत भी इस डील की शुरुआती बातचीत में वह शामिल रहा है। बाद में नवंबर 2019 में पीएम मोदी ने इस डील में शामिल होने से इंकार किया। भारत ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की वजह से RCEP से बाहर रहने का फैसला किया है। अगर भारत इस डील में शामिल होता तो उसके लिए अपने बाजार में चीन से आने वाले सस्ते सामान को आने से रोकना मुश्किल हो जाता। इससे घरेलू उद्योगों को भारी नुकसान का सामना करना पड सकता था। । चीन से भारत का व्यापार घाटा लगभग 50 अरब डॉलर का है और वह और भी बढ़ जाता
RCEP की वजह से भारत को न सिर्फ इम्पोर्टेड सामान पर इम्पोर्ट ड्यूटी 80% से 90% तक कम करना पड़ती बल्कि सर्विस और इन्वेस्टमेंट नियमों को भी आसान बनाना होता। इम्पोर्ट ड्यूटी कम होते ही चीन बड़ी मात्रा में यहां सस्ता सामान आयात करता तो भारतीय कंपनियों की मुश्किलें और बढ़ जातीं।
RCEP ट्रेड डील में शामिल नहीं होने से भारत को क्या हुआ नुकसान? :
भारत अगर इस ट्रेड डील का हिस्सा बनता तो उसे ट्रेड डील में शामिल देशों से बड़ा निवेश मिल सकता था। इतना ही नहीं, भारत को अपने कुछ चुनिंदा उत्पादों के लिए बहुत बड़ा बाजार भी हासिल कर सकता था। ट्रेड डील में शामिल देशों से व्यापार भारत के लिए आसान नहीं रहेगा। कई सामानों की उसे ज्यादा कीमत भी चुकानी होगी।
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चीन को क्या फायदा? :
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह चीन के खिलाफ ट्रेड वॉर शुरू किया गया था, RCEP को चीन का जवाब माना जा रहा है। चीन सबसे ज्यादा सामान अमेरिका में ही बेचता है। ट्रेड वॉर शुरू होने के बाद अमेरिका में चीनी सामान का निर्यात काफी तेजी से कम हुआ। इस तरह चीन के लिए एक नया बाजार भी तैयार हो गया।