Hindi Poems For Class 8

Hindi Poems For Class 8

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नयी कविता

इस सिंदूरी सूरज की बाहों मे दिन छिप जाएगा
गोधूली की इस बेला मे याद बहुत तू आएगा

वो मिलना तेरा बहानो से
वो टूट के चाहत दिखलाना
वो हंसते हंसते रो देना फिर
मिलने का वादा करके
उमीदें सारी धो देना

वो रात नहीं एक सपना था अब तू मेरा अपना था
अग्नि मे वो बात न थी मन बिन फेरे ही तेरा था
उस क्षण धरती नाच उठी थी अम्बर गीत सुनाता था
हम दोनो का सव्पन ही मानों उनका जीवन दाता था
बस वो था एक पल जब तुमने अंतिम बार निहारा था
जागीरों को पा लेने का सपना जैसे पाला था

आज पङी सामान के जैसी घर की एक सजावट हूँ
तुम अपने गौरव में गुम हो मैं ढूँढती वही लगावट हूँ
वो सपना था अब टूट गया क्यों मान नहीं यह पाती हूँ
क्यों रोज रोज मैं धरती बन सूरज को घेरे जाती हूँ
सात जन्म तक तुम्हे ही पाउँ भूल नहीं क्यों पातीहूँ

अपनी अपनी दुनिया है अब अपना अपना जीवन है
दूर से उतना दूर नहीं थे जितनी पास की दूरी है

अब तो जीवन उस अपने से मिलने को तरसा जाएगा
रोज सांझ होठों पर अब तो गीत यही बस आएगा
इस सिंदूरी सूरज की बाहों में दिन छिप जाएगा
गोधूली की इस बेला में याद बहुत तू आएगा

जीवन

Hindi poem for class 8

हरिवंश राय बच्चन कविता

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।

The sorrow has reached the gigantic proportions of mountains, it is time that a soothing Ganges emerges out to alleviate the pain

आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।

Yes, the walls have begun to tremble like a sheet of paper but our deal was to get the foundations shaken

हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में,
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।

In every alley, road, town and village, every suffering body should be protesting

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।

Rabble rousing is not my aim, the whole effort is to bring a change

मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।

If not in my mine, then yours by all means – wherever it may be lit, but the point is that the fire must be lit

hindi poem lyrics for class 8

नीरज

छिप-छिप अश्रु बहाने वालों!
मोती व्यर्थ लुटाने वालों!
कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।

सपना क्या है? नयन सेज पर,
सोया हुआ आँख का पानी,
और टूटना है उसका ज्यों,
जागे कच्ची नींद जवानी,
गीली उमर बनाने वालों! डूबे बिना नहाने वालों!
कुछ पानी के बह जाने से सावन नहीं मरा करता है।

माला बिखर गई तो क्या है,
खुद ही हल हो गई समस्या,
आँसू गर नीलाम हुए तो,
समझो पूरी हुई तपस्या,
रूठे दिवस मनाने वालों! फटी क़मीज़ सिलाने वालों!
कुछ दीपों के बुझ जाने से आँगन नहीं मरा करता है।

खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर,
केवल जिल्द बदलती पोथी।
जैसे रात उतार चाँदनी,
पहने सुबह धूप की धोती,
वस्त्र बदलकर आने वालों! चाल बदलकर जाने वालों!
चंद खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है।

लाखों बार गगरियाँ फूटीं,
शिकन न आई पनघट पर,
लाखों बार कश्तियाँ डूबीं,
चहल-पहल वो ही है तट पर,
तम की उमर बढ़ाने वालों! लौ की आयु घटाने वालों!
लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है।

लूट लिया माली ने उपवन,
लुटी न लेकिन गंध फूल की,
तूफ़ानों तक ने छेड़ा पर,
खिड़की बन्द न हुई धूल की,
नफ़रत गले लगाने वालों! सब पर धूल उड़ाने वालों!
कुछ मुखड़ों की नाराज़ी से दर्पन नहीं मरा करता है

कबीर

Amir Khusro Poetry for  class 9

अमीर खुसरो कविता

बच्चो  के लिए