Rabindrath tagore hindi poem
धीरे चलो, धीरे बंधु लिए चलो धीरे
मंदिर में, अपने विजन में
पास में प्रकाश नहीं, पथ मुझको ज्ञात नहीं
छाई है कालिमा घनेरी
चरणों की उठती ध्वनि आती बस तेरी
रात है अँधेरी
हवा सौंप जाती है वसनों की वह सुगंधि,
तेरी, बस तेरी
उसी ओर आऊँ मैं, तनिक से इशारे पर,
करूँ नहीं देरी
दिन पर दिन चले गए | Rabindra Nath Tagore poem in hindi on life
दिन पर दिन चले गए पथ के किनारे
गीतों पर गीत अरे रहता पसारे
बीतती नहीं बेला सुर मैं उठाता
जोड़-जोड़ सपनों से उनको मैं गाता
दिन पर दिन जाते मैं बैठा एकाकी
जोह रहा बाट अभी मिलना तो बाकी
चाहो क्या रुकूँ नहीं रहूँ सदा गाता
करता जो प्रीत अरे व्यथा वही पाता
गर्मी की रातों में | Love poem in hindi by Rabindra Nath Tagore
गर्मी की रातों में
जैसे रहता है पूर्णिमा का चांद
तुम मेरे हृदय की शांति में निवास करोगी
आश्चर्य में डूबे मुझ पर
तुम्हारी उदास आंखें
निगाह रखेंगी
तुम्हारे घूंघट की छाया
मेरे हृदय पर टिकी रहेगी
गर्मी की रातों में पूरे चांद की तरह खिलती
तुम्हारी सांसें, उन्हें सुगंधित बनातीं
मरे स्वप्नों का पीछा करेंगी।
Rabindranath-tagore-poems-in-hindi
धीरे चलो, धीरे बंधु लिए चलो धीरे
मंदिर में, अपने विजन में
पास में प्रकाश नहीं, पथ मुझको ज्ञात नहीं
छाई है कालिमा घनेरी
चरणों की उठती ध्वनि आती बस तेरी
रात है अँधेरी
हवा सौंप जाती है वसनों की वह सुगंधि,
तेरी, बस तेरी
उसी ओर आऊँ मैं, तनिक से इशारे पर,
करूँ नहीं देरी
मेरे प्यार की ख़ुशबू | Rabindra Nath Tagore poems in hindi on love
मेरे प्यार की ख़ुशबू
वसंत के फूलों-सी
चारों ओर उठ रही है।
यह पुरानी धुनों की
याद दिला रही है
अचानक मेरे हृदय में
इच्छाओं की हरी पत्तियाँ
उगने लगी हैं
मेरा प्यार पास नहीं है
पर उसके स्पर्श मेरे केशों पर हैं
और उसकी आवाज़ अप्रैल के
सुहावने मैदानों से फुसफुसाती आ रही है ।
उसकी एकटक निगाह यहाँ के
आसमानों से मुझे देख रही है
पर उसकी आँखें कहाँ हैं
उसके चुंबन हवाओं में हैं
पर उसके होंठ कहाँ हैं …