सच कभी छिपता नहीं ( Moral story in Hindi for Class 3 sanpnath)

झूठ का फल

न्यायालय में दो मित्र उपस्थित हुए। नाम था रामनाथ और सांपनाथ । रामनाथ जज से बोला, “साहब, तीन साल पहले जब मैं अपना घर छोड़कर विदेश गया तो सांपनाथ को अपना परम मित्र जानकर अपनी हीरे की एक अँगूठी अमानत के रूप में दे गया था।

मैंने इससे कहा था कि वह तब तक उस हीरे की अंगूठी को सँभालकर रखे जब तक मैं न लौट आऊँ। पर अब यह कहता है कि इसे अँगूठी के विषय में कुछ नहीं पता।”

सांपनाथ अपने दिल पर हाथ रखकर बोला, “सरकार! रामनाथ झूठ बोल रहा है। मैंने उसकी अंगूठी कभी नहीं ली। हाँ, जब यह यहाँ से गया था तब इसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी।”

जज ने कहा, “रामनाथ, क्या तुम्हारी इस बात का कोई साक्षी है ? ” उसने कहा, “हुजूर! जब मैंने गुंदरलाल को अँगूठी दी उस समय दुर्भाग्य से वहाँ कोई उपस्थित नहीं था, सिवा एक देवदार के पेड़ के, जिसके नीचे हम खड़े थे । ”

सांपनाथ ने यह सुनकर जवाब दिया, “मैं कसम खाकर कह सकता हूँ कि न मैं अँगूठी के विषय में जानता हूँ और न इस देवदार के वृक्ष के ही विषय में।”

जज ने सुंदरलाल से कहा, “तुम खेत में वापस जाओ और उस देवदार के पेड़ से एक टहनी लेकर वापस आओ। मैं उसे देखना चाहता हूँ।”

रामनाथ चला गया। कुछ देर के बाद जज ने सांपनाथ से कहा, “रामनाथ वापसी में इतनी देर कैसे लगा रहा। है ? तुम जरा खिड़की के पास खड़े होकर देखो तो सही कि वह देवदार की टहनी लिये रास्ते पर आता दिखाई दे रहा है या नहीं। “

सांपनाथ ने कहा, “मालिक, अभी तो वह उस पेड़ तक भी नहीं पहुँचा होगा। वहाँ तक पहुँचने में उसे कम-से-कम एक घंटा लगेगा। ”

” जज ने जब सांपनाथ का यह तर्क सुना तो सारा माजरा उनकी समझ में आ गया। वे बोले, “सांपनाथ , जितना तुम पेड़ के विषय में जानते हो उतना ही अँगूठी के विषय में भी जानते हो ।”

Moral of Stories in Hindi for Class 3 – सच कभी छिपता नहीं ।