अमर प्रेम
एक गाँव में दो औरतों के घर एक ही दिन बच्चों का जन्म हुआ। एक के घर लड़का हुआ, दूसरे के यहां लड़की हुई थी। लड़के का नाम रखा- रवि और लड़की का फूलवती ।
दोनों बच्चे एक-दूसरे को बहुत चाहते थे। वे एक-दूसरे के लिए जान भी दे सकते थे। जब फूलवती जवान हुई तो एक अमीर आदमी ने उसका हाथ माँगा। माँ-बाप शादी के लिए तैयार हो गए, लेकिन सीता अपने दूल्हे के साथ जाने के लिए तैयार नहीं हुई। वह रवि को भी अपने साथ ले जाना चाहती थी। उसने दूल्हे से विनती की। दूल्हे ने विनती स्वीकार कर ली ।
और फिर तीनों गाँव छोड़कर दूसरे गाँव की ओर चल दिए । दूल्हे के गाँव पहुँचने के बाद फूलवती ने नई मुसीबतें खड़ी कर दीं। उसने कहा कि अगर रवि न आया तो मैं नए घर में जाऊँगी ही नहीं।
इस बार भी उसके पति को हार माननी पड़ी । और रोज दिन-रात यही चलता रहा। जहाँ कहीं फूलवती जाती, रवि साथ में रहता; जो कुछ फूलवती अपने पति के लिए करती, पहले रवि को मिलता।
कुछ दिनों तक यही रवैया देखकर पति ने सोचा, कुछ-न कुछ तो करना होगा। इसलिए उसने गाँव के मुखिया को अपनी परेशानी बताई। “तुम भाग्यशाली हो ।”
मुखिया बोला, “जल्द ही एक बहुत बड़ा युद्ध शुरू होनेवाला है – और चूँकि रवि हट्टा-कट्टा है, इसलिए वह युद्ध में जाने से इनकार नहीं कर सकता। उसे मेरे पास भेज दो। उसे खत्म करने का इंतजाम मैं कर लूँगा।” कुछ ही दिनों बाद चारों तरफ लड़ाई के नगाड़े बजने लगे। सभी युवा लोग मोरचे पर जाने के लिए मुखिया के आगे उपस्थित हुए।
उन्हीं में था रवि और पीछे थी उसकी प्रिय फूलवती लड़ाई के वक्त भी फूलवती उसे छोड़ना नहीं चाहती थी। लेकिन उसके पति को आशा थी कि रवि से उसका जल्दी ही पीछा छूट जाएगा और फूलवती गोलाबारी से डरकर वापस उसीके पास भाग आएगी।
लड़ाई शुरू ही हुई और रवि घायल होकर गिर पड़ा। चोट गहरी थी और मरते ही वह एक पेड़ बन गया । फूलवती जो रवि के बिना जीने की बात भी नहीं सोच सकती थी, एक बेल बन गई और पेड़ के तने से लिपट गई। और उस दिन से पेड़ों के तने बेलों से ढके होते हैं ।
Moral of Story in Hindi for Class 3 – प्रेम अमर होता है ।