सोने के अंडे की कहानी ( Moral story in hindi for class 3 )

Moral story in hindi for class 3: एक किसान के पास एक ऐसा मुर्गी थी जो रोज सोने के अंडे देता थी। उस अंडे को बेच के किसान अपने परिवार का लालन पालन करता था। उसका परिवार खुशहाल था और ऐसा काफी दिन चला। अचानक एक दिन किसान ने सोचा ” एक दिन में एक अंडा ही क्यों मिल रहा है ?क्यों ना सारा अंडा एक दिन में ही मिल जाए ?”

उस किसान की बेवक़ूफ़ पत्नी भी इस बात से खुश थी और दोनों ने मुर्गी के पेट को फाड़ कर सारे अंडे निकालने का प्लान बनाया। जैसे ही उन्होंने मुर्गी को मारा और उसके पेट को फाड़ा तो उन्हें केवल खून और मांस का टुकड़ा मिला और कोई सोने का अंडा नहीं मिला।

किसान को अपनी बेवकूफी पर बहुत पछतावा हुआ।

सोने के अंडे की कहानी से सीख :

लालच करना ठीक नहीं होता।

अच्छा घर क्या है ?

शलजम की कहानी ( Hindi moral stories for class 3 )

एक बूढ़े ने शलजम बोया और कहा, “उगो-उगो, शलजम, मीठे बनो। उगो-उगो, शलजम, मज़बूत बनो।”

तो बहुत ही बड़ा शलजम मीठा-मीठा उग आया ,। बूढ़ा उसे निकालने के लिए गया। वह उसे खींचता रहा, अपना पूरा ज़ोर लगाकर खींचता रहा, मगर शलजम को निकाल न पाया। तो उसने बुढ़िया को बुलाया।

बुढ़िया ने थामा बूढ़े को, बूढ़े ने थामा शलजम को। दोनों उसे खींचते रहे, अपना पूरा ज़ोर लगाते रहे, मगर शलजम को निकाल न पाए।

अब बुढ़िया ने पोती को बुला लिया। पोती ने थामा दादी को, दादी ने थामा दादा को, दादा ने थामा शलजम को। सभी मिलकर उसे खींचते रहे, पूरा ज़ोर लगाते रहे, मगर शलजम को निकाल न पाए।

तब पोती ने बुलाया अपने कुत्ते को। कुत्ते ने थामा पोती को, पोती ने थामा दादी को, दादी ने थामा दादा को, दादा ने थामा शलजम को। सभी मिलकर उसे खींचते रहे, अपना पूरा ज़ोर लगाते रहे, मगर शलजम को निकाल न पाए।

फिर कुत्ते ने बुला लिया बिल्ली को। बिल्ली ने थामा कुत्ते को, कुत्ते ने थामा पोती को, पोती ने थामा दादी को, दादी ने थामा दादा को, दादा ने थामा शलजम को। सभी मिलकर उसे खींचने लगे, अपना पूरा ज़ोर लगाते रहे और निकाल लिया उन्होंने शलजम को।

नैतिक सीख: Moral story in hindi for class 3: आप ने इस कहानी में देखा की जब दादा अकेले शलजम को खींच रहे थे । ठीक इसी तरह कोई मुश्किल से भी मुश्किल काम अगर हम एकसाथ मिलकर एकता से काम ले तो हम उसमे ज़रुर सफलता हासिल कर सकते है।