Moksha Quotes in hindi :मोक्ष शब्द के बेहतरीन अनमोल वचन और चुनिंदा सुविचार का संग्रह लाने की हमारी कोशिश है !! यहाँ आप हर तरह के अनमोल वचन और सुविचार को पढ़ सकते है और अपने चाहने वालो को शेयर कर सकते है !!
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Moksha Quotes in hindi
जहाँ राग-द्वेष नहीं होते, वह मोक्षमार्ग।
‘जिनमुद्रा’ क्या कहती है? वीतरागों की पद्मासन मुद्रा, हाथों-पैरों की एक पर एक रखी हुई मुद्रा उपदेश देती है कि, ‘‘हे मनुष्यों! अगर समझदारी है तो समझ जाओ। आपका खाना-पीना, ज़रूरत की हरएक चीज़ आप लेकर ही आए हो, इसलिए ‘मैं कर्ता हूँ’ यह भान छोड़ देना और मोक्ष का प्रयत्न करना”!
अज्ञान से मुक्ति हुई, वही मोक्ष।
शुक्लध्यान प्रत्यक्ष मोक्ष का कारण है। धर्मध्यान परोक्ष मोक्ष का कारण है। आर्तध्यान पशुगति का कारण है। रौद्रध्यान नरकगति का कारण है।
मेहनत का फल संसार है और समझदारी का फल मोक्ष है।
मोक्ष में जाना हो तो सरल होना पड़ेगा, वहाँ आड़े रहोगे तो नहीं चलेगा। गाँठे निकालकर अबुध होना पड़ेगा।
परम पूज्य दादा भगवान
कषायों का निवारण, उसीका नाम मोक्ष। पहले कषायों का निर्वाण होता है फिर ‘वह’(आत्मा का निर्वाण)!
परम पूज्य दादा भगवान
शुक्लध्यानपूर्वक हुई निर्जरा का फल मोक्ष और धर्मध्यानपूर्वक हुई निर्जरा का फल बहुत ज़बरदस्त पुण्य होता है। पुण्यानुबंधी पुण्य बँधता है। !
भगवान ने कहा है कि, ‘अज्ञान खत्म हुआ तो मोक्ष हथेली पर है।’
कड़वा फल मीठा है और मीठा कड़वा है, अगर ऐसा समझ जाएगा, तब मोक्ष में जा सकेगा!
परम पूज्य दादा भगवान
जो ‘अहंकार’ नहीं करता, उसका संसार हो गया बंद!
जहाँ राग-द्वेष नहीं होते, वह मोक्षमार्ग।
मेहनत का फल संसार है और समझदारी का फल मोक्ष है।
मोक्ष में जाना हो तो सरल होना पड़ेगा, वहाँ आड़े रहोगे तो नहीं चलेगा। गाँठे निकालकर अबुध होना पड़ेगा।
Moksha status in hindi
शास्त्रों से मोक्ष नहीं है, आत्मा से मोक्ष है।
मोक्ष में कौन नहीं जाने देता? आड़ाई!
उल्टा मतलब नीचे उतरना और सुल्टा ऊपर चढ़ाता है।
कड़वा फल मीठा है और मीठा कड़वा है, अगर ऐसा समझ जाएगा, तब मोक्ष में जा सकेगा!
खुद का वास्तविक स्वार्थ तो ‘खुद का मोक्ष’ और ‘खुद का स्वरूप,’ वही है।
मोक्ष अनमोल वचन
शुक्लध्यान प्रत्यक्ष मोक्ष का कारण है। धर्मध्यान परोक्ष मोक्ष का कारण है। आर्तध्यान पशुगति का कारण है। रौद्रध्यान नरकगति का कारण है।
‘ज्ञान’ रहित भक्ति संसार के भौतिक सुख देती है। ‘ज्ञान’ सहित भक्ति, वह ‘ज्ञान’ कहलाती है, वह मोक्ष देती है।
‘लाइफ’ तो भोगते-भोगते मोक्ष में जाने के लिए है। ‘अबव नॉर्मल’ या ‘बिलॉ नॉर्मल’ नहीं होनी चाहिए। ‘लाइफ’ तो नॉर्मल होनी चाहिए।
शुक्लध्यानपूर्वक हुई निर्जरा का फल मोक्ष और धर्मध्यानपूर्वक हुई निर्जरा का फल बहुत ज़बरदस्त पुण्य होता है। पुण्यानुबंधी पुण्य बँधता है। !- परम पूज्य दादा भगवान
‘सनातन’ स्नेह, वही मोक्ष है।
परम पूज्य दादा भगवान
बंधन से मुक्ति दिलाए, वही यथार्थ धर्म।
जहाँ कर्तापन है, वहाँ धर्म उत्पन्न होता है और जहाँ समझ की बात है, वहाँ मोक्ष उत्पन्न होता है।
क्रियामात्र बंधन है। मोक्ष के लिए क्रिया की ज़रूरत नहीं है। मोक्ष के लिए ज्ञानक्रिया की ज़रूरत है। अज्ञानक्रिया वह बंधन है। अहंकारी क्रिया को अज्ञानक्रिया कहते हैं और निर्हंकारी क्रिया को ज्ञानक्रिया कहा जाता है। – परम पूज्य दादा भगवान
मेहनत का फल संसार है और समझदारी का फल मोक्ष है।
– परम पूज्य दादा भगवान
शास्त्रों से मोक्ष नहीं है, आत्मा से मोक्ष है।
Moksha Shayari in hindi
जो सरल हुआ उसका मोक्ष है। ऐेसे नहीं बनोगे तो लोग मार-मारकर सरल (सीधा) कर देंगे। मोक्ष का द्वार तो सँकरा है। इसलिए यदि आड़ाई होगी तो अंदर कैसे प्रवेश कर पाएगा? – परम पूज्य दादा भगवान
बंधन से मुक्ति दिलाए, वही यथार्थ धर्म। – परम पूज्य दादा भगवान
लोकपूज्य होने के बाद मोक्ष में जा पाओगे, यों ही नहीं जा सकते। लोकनिंद्य, वह तो अधोगति का कारण कहा जाता है।
इस जगत् में कोई भी व्यक्ति जो आपका कुछ नुकसान करता है, वह तो निमित्त है। उसमें रीस्पोन्सिबल (ज़िम्मेदार) आप ही हो। कोई व्यक्ति कुछ कर ही नहीं सकता, ऐसा स्वतंत्र है यह जगत् ! यदि कोई कर सकता तो भय की कोई सीमा ही नहीं रहती। किसी को मोक्ष में ही नहीं जाने देते।
भगवान कर्ता होते तो उसका कब अंत आता? भगवान बनानेवाला और हम बन गए, हम उसके खिलौने तो फिर हो गया कल्याण! फिर हमारा मोक्ष कब होगा? कोई भी आपका ऊपरी नहीं है, कोई भी आपका अन्डरहैन्ड नहीं है।
‘ज्ञान’ रहित भक्ति संसार के भौतिक सुख देती है। ‘ज्ञान’ सहित भक्ति, वह ‘ज्ञान’ कहलाती है, वह मोक्ष देती है। – परम पूज्य दादा भगवान
मताग्रह से कभी भी मोक्ष नहीं होता। निराग्रही का ही मोक्ष है।
Moksha hindi poetry
It’s easy to die
It’s hard to live
But then
here are mine soulmates
who loves me with all their hearts
and loving whom I feel alive
For them I need to live
And here are also my fellow human race,
the benevolent nature
and her wonderful creations
whose lives could get better
with mine life’s existence here
Moksha for me is selfish
when my fellow beings
would continue to suffer
Then
how could I rest in peace up there ?
I need to be here for my people
and for all mine beings,
for this nature,
for our planet earth
by living a humane life
contributing mine humane works
and keep continuing it
in this life,
next life
and lives
and lives
to go
and come
till all the hells of this planet decomposes
to germinate a new heaven
being thus built on our planet earth,
all humane and just.
Moksha can wait until this !
We imagine what happens after death, we imagine a world without death, we imagine a world without us and wonder what is the point of life. Unable to make sense of things, we try to control life.
Shiva gives us Moksha – A wisdom to outgrow fear!
to see the whole,you have to become nothing
Gita quotes krishna words for moksha in hindi
हे अर्जुन ! हम दोनों ने कई जन्म लिए हैं, मुझे याद हैं, लेकिन तुम्हे नहीं।
हे अर्जुन ! जो कोई भी जिस किसी भी देवता की पूजा विश्वास के साथ करने की इच्छा रखता है, मैं उसका विश्वास उसी देवता में दृढ कर देता हूँ।
हे अर्जुन, मैं धरती की मधुर सुगंध हूँ, मैं अग्नि की ऊष्मा हूँ, सभी जीवित प्राणियों का जीवन और सन्यासियों का आत्मसंयम भी मैं ही हूँ।
हे अर्जुन! सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता ना इस लोक में है ना ही कहीं और।
हे अर्जुन! मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है।
हे अर्जुन! ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है, वही सही मायने में देखता है।
हे अर्जुन! जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है।
हे अर्जुन! मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है,जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है।
हे अर्जुन! प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए, गंदगी का ढेर, पत्थर, और सोना सभी समान हैं।
हे अर्जुन! मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है।
हे अर्जुन! व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे।
हे अर्जुन! जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है, जितना कि मृत होने वाले के लिए जन्म लेना। इसलिए जो अपरिहार्य है उस पर शोक मत करो।
Moksha Quotes by Ramanujacharya
मोक्ष की दशा में जीव ब्रह्म से एकाकार नहीं होता बल्कि एकरूप होता है।
अर्थात् जीव अपना पृथक अस्तित्व रखते हुए ब्रह्म की तरह अनंत ज्ञान और अनंत आनन्द से युक्त हो जाता है। रामानुजाचार्य