महुआ मोइत्रा जीवन परिचय:
लोकसभा में महुआ मोइत्रा ने जो भाषण दिया, बीजेपी को जिस तरह घेरा, उसकी खूब चर्चा हो रही है.
तेजतर्रार राजनीतिज्ञ हैं. स्मार्ट हैं. आकर्षक हैं और भारतीय राजनीति में लगातार लोकप्रिय हो रही हैं. उनके कई ऐसे भाषण रहे हैं, जिस पर उन्हें दाद मिल चुकी है. ये उनकी तब की तस्वीर है जब वो वर्ष 2019 के चुनावों में कृष्णानगर से अपने चुनाव अभियान में लगी हैं. यहां उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार को 16000 से अधिक वोटों से हराया था. हालांकि उनका राजनीतिक करियर बहुत लंबा नहीं कहा जा सकता.
लोकसभा में बजट सत्र में तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा का भाषण चर्चा में है. इसे लेकर वो सोशल मीडिया पर लगातार ट्रेंड हो रही हैं. अपने इस भाषण में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और मौजूदा राज्यसभा सदस्य रंजन गोगोई पर प्रहार किए थे.
इस भाषण के बाद सत्ताधारी पार्टी के संसदीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि उनके इस भाषण पर तमाम लोगों को एतराज है. उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर विचार चल रहा है. हालांकि फिर कानूनी तौर पर मोइत्रा के दमदार होने के बाद सरकार ने ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाने का फैसला किया है. उनके इस भाषण के बाद उन्हें खासी तारीफ भी मिल रही है. कहा जा रहा है कि कोई तो ऐसा सांसद है जो लोकसभा में बगैर डरे खरी खरी बात कह सकता है.
Mahua Moitra Wikipedia in hindi
एनआरसी, बेरोजगारी, फेक न्यूज, मीडिया की स्वतंत्रता, किसान, राष्ट्रवाद समेत तमाम मुद्दों पर उन्होंने अपने तथ्यों और तर्कों से बीजेपी सरकार की जमकर आलोचना की.
2019 लोकसभा चुनाव के बारे में महुआ मोइत्रा ने कहा कि ये पूरा चुनाव वॉट्सऐप और फेक न्यूज पर लड़ गया. उन्होंने 7 बिंदुओं के जरिए बताने की कोशिश की कि कैसे बीजेपी सरकार का रवैया ‘तानाशाही’ है.
- मजबूत और कट्टर राष्ट्रवाद से देश के सामाजिक ताने-बाने को आधात पहुंचा है. इस तरह के राष्ट्रवाद का नजरिया काफी संकीर्ण और डराने वाला है.
- देश में मानव अधिकारों के हनन की कई घटनाएं घट चुकी हैं. सरकार के हर स्तर पर मानव अधिकारों का हनन हो रहा है. देश में ऐसा माहौल बनाया गया है जिसमें नफरत के आधार पर हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं.
- महुआ ने संसद में मीडिया के सरकारी नियंत्रण पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि मीडिया को उस हद तक नियंत्रित किए जाने की कोशिशें हो रही हैं जितना सोचा भी नहीं जा सकता.
- देश में राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर शत्रु खड़ा करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है. ‘हर कोई इस बेनामी ‘काले भूत’ से डर रहा है.
- सरकार और धर्म के एक दूसरे से संबंधो पर भी उन्होंने सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि सिटिजन अमेंडमेंट बिल के जरिए एक खास समुदाय के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है.
- इस सरकार ने सभी बुद्धिजीवियों और कलाकारों का तिरस्कार किया है. मोदी सरकार ने विरोध को दबाने की सारी कोशिशें की हैं.
- उन्होंने दावा किया 2019 के चुनावों में 60 हजार करोड़ खर्च हुए और सिर्फ एक पार्टी ने इसका 50% फीसदी खर्च किया.
महुआ मोइत्रा कौन है: (Mahua Moitra biography in hindi)
05 फुट 06 इंच लंबी मोइत्रा को संसदीय भारतीय राजनीति में कदम रखे बमुश्किल 5 साल ही हुए हैं. महुआ 45 साल की हैं. महुआ कोलकाता में पैदा हुईं. वहां कालेज से डिग्री लेने के बाद हायर एजुकेशन के लिए अमेरिका चली गईं. उसके बाद महुआ ने जेपी मोर्गन में नौकरी शुरू की. देखते ही देखते जेपी मोर्गन में उन्हें कई तरक्की मिली.
वो लंदन में कंपनी की वाइस प्रेसीडेंट बन गईं. इस लिहाज से देखें तो उनका जीवन अच्छा और करियर शानदार था. पैसे की कमी नहीं थी. लेकिन उन्हें लगा कि वो इस तरह की नौकरियों में बंधकर नहीं रह सकतीं. उन्हें कुछ बिल्कुल अलग करना है. हालांकि जब वो कोलकाता में कॉलेज में पढ़ रही थीं तभी से राजनीति में उनकी दिलचस्पी थी.
उन्होंने वर्ष 2008 में अपनी शानदार नौकरी छोड़ दी. वो भारत आ गईं. आते ही राहुल गांधी से मिलीं. उन्हें बंगाल में यूथ कांग्रेस में काम करने के लिए कहा गया. जल्दी ही वो बंगाल यूथ कांग्रेस में प्रमुख नेताओं में शामिल हो गईं. राहुल गांधी उन्हें जानते थे. उन पर विश्वास करते थे.
उन्होंने बंगाल में बहुत अच्छी तरह कांग्रेस के कार्यक्रमों का संचालन किया था. लेकिन जब कांग्रेस ने वहां चुनावों में लेफ्ट के साथ गठजोड़ किया तो वो क्षुब्ध हो गईं. तब उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की ओर रुख किया.
जेपी मॉर्गन में काम कर चुकीं बैंकर महुआ मोइत्रा न्यूयॉर्क में अपनी शान-ओ-शौकत भरी जिंदगी को छोड़कर राजनीति में आईं. पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर से TMC के टिकट पर उन्होंने 2019 का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. उन्होंने बीजेपी के कल्याण चौबे को करीब 63 हजार वोटों से हराया.
टीएमसी की सदस्य बनने के बाद ममता बजर्नी ने उन्हें पहली बार 2016 में करीमपुर से विधानसभा चुनाव लड़ाया और उन्होंने वहां जीत दर्ज की. उनके बैकग्राउंड और लाइफस्टाइल को देखते हुए टीएमसी के कुछ नेताओं का कहना था कि वो बंगाल की जमीनी पॉलिटिक्स के लिए फिट नहीं हैं. लेकिन करीमपुर की जीत ने ऐसे लोगों की बोलती बंद कर दी.
करीमपुर से विधायक बनने के बाद महुआ मोइत्रा ने अपने बैंकिंग क्षेत्र से होने का फायदा उठाते हुए क्षेत्र में करीब 150 करोड़ रुपए का निवेश कराया. ममता बनर्जी ने महुआ का काम देखते हुए उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की कृष्णा नगर सीट से टिकट दिया.
महुआ मोइत्रा सिर्फ पॉलिटिक्स तक सीमित नहीं है. उन्होंने इंटरनेट और सोशल मीडिया पर सरकारी सर्विलांस के खिलाफ याचिका लगाई थी.
वो अक्सर विवादों में रहती आई हैं. कभी बंगाल का स्थानीय मीडिया उनकी टिप्पणी से नाराज हो जाता है तो कभी बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रिया से उनकी ठन जाती है. पहले उन्होंने तृणमूल के टिकट पर करीमनगर से विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीता और फिर वर्ष 2019 में उन्हें पार्टी ने लोकसभा का टिकट दे दिया.