कविता और मेरी बस की कहानी | Love story in hindi

बस को चलते चलते एक घंटा हो गया था और कविता बाहर ही देखे जा रही थी मुझे पता नहीं चला कल मेरी आंख लग गई । तभी अचानक से कंधे पर किसी ने हाथ रखा मैंने हड़बड़ा कर आंख खुली । सामने एक लड़का हाथ में पानी की बोतल लिए खड़ा था । वह मुझे पानी का बोतल देते हुए कहां भैया 2 घंटे बाद बस रुकेगी कहां पर चाय पानी और खाना मिलेगा ।

मैंने अपनी दाएं तर कविता अभी बाहर देख रही थी। फिर मैंने अपनी बैग से बिस्किट का एक पैकेट निकाला और फाड़कर कविता की ओर बढ़ाया और और वह दो बिस्किट का टुकड़ा लेते हुए थैंक्यू कहकर वापस बाहर देखने लगी।

मैंने भी ज्यादा कुछ बोले बिना 8 बिस्किट खत्म कर दिया । मेरी आंख लग गई मुझे पता भी नहीं चला, अचानक से बस रूकती है और सभी लोग नीचे जाने लगते हैं । कविता भी थोड़ी हिलने डुलने लग है मैं जब पूरी तरह से आंख खोलता हूं तो कविता ने कहा लगता है तुम थक गए हो। नहीं मुस्कुराते हु कराते हुए मैंने पूछा तुम्हें कुछ खाना है। कविता नहीं भी हल्का सा मुस्कुरा कर सर को हिलाया। मैंने कहा चलो नीचे उतर कर कुछ खा लेते हैं । 20 मिनट के बाद सभी लोग बचपन वापस बस में चले आये और हम भी खा पीकर अपनी अपनी सीट पर बैठ गए।

कविता ने कहा ” सब्जी काफी अच्छी थी ” मैंने कहा ” मुझे चटनी बहुत पसंद आई ” फिर कविता ने pepsi की बोतल निकाली है और सामने बढ़ा दिया मैंने दो घूंट पिया और वापस कर दिया। कविता भी बिना मुंह लगाए ऊपर से पेप्सी पीने लगी, तभी मेरी नजर कविता के कानों पर गई बहुत अच्छा हरे रंग की रिंग पहनी हुई थी। पहले मैंने सोचा कि कुछ बोलूं फिर पता नहीं क्या हुआ मैं रुक गया ।

कविता ने अपनी bag से एक छोटी सी चादर निकाली और उसे ओढ़कर खिड़की पर सर रख कर सो सोने की कोशिश करने लगा .मैंने भी अपना चादर निकाला और उसे गुड नाइट कहा । सोने लगा कुछ समय बाद मुझे अपने बाएं साइड के कंधे पर भारीपन महसूस हुआ,तक देखा की कविता का सर मेरे कंधे पर आ गया है।

मुझे समझ में नहीं आ रहा था की मुझे कविता को उठाना चाहिए या बिना हिले सोने देना चाहिए. मैं वैसे ही पड़ा रहा और आधे घंटे बाद अचानक कविता की आंख खुलती है और सॉरी कहने लगती है ।