Vyang Sanvidhan | राजनीतिक व्यंग्य
जेएनयू ,वासेपुर ब्रांच ,नई दिल्ली ,2122: संविधान ऑफ़ इंडिया के निर्माताओं को मालूम था की लोग अनेक तकलीफो को सहने के बाद कह के लेना चाहेंगे.
5 जनवरी की हिंसा के बाद जेएनयू के छात्रों ने महामहिम अनुराग कश्यप के के सामने प्रण लिया है “यह गांधी का देश है और यहां पर हिंसा को बढ़ावा नहीं दिया जाता. इसलिए बाहर से आए सारे मफलर मैन को पकड़ने के बाद मारेंगे नहीं सालो को, कह के लेंगे.”
संविधान ऑफ़ इंडिया में भी कह के लेने जैसे गतिविधि के बारे में स्पस्टीकरण नहीं दिया गया है .ज्ञात सूत्रों के हवाले से पता चला है कि जेएनयू के छात्र बाहरी उपद्रवी तत्वों से मफलर लेने की बात कर रहे है.
दिल्ली की ठंड में मफलर एक दिन मांग के और महीने भर नहीं लौटाने से आप मारते नहीं है कह कर लेते हैं.इससे सामने वाले प्राणी की ठण्ड से दही फट जाती है और वह थर्राने लगता है.
जेएनयू के छात्रों द्वारा स्टार्ट की गई इस महान अहिंसात्मक कार्रवाई को देखकर गांधीजी के तीन बंदरों को पार्टी करते देखा गया है.
दिल्ली के दिल्ली के रिहायशी इलाके कनॉट प्लेस में इन तीन महान प्राणियों को पार्टी ऑल नाइट का नारा लगाते सुना गया है
इसी बीच कह के लेने की मुहीम भारत के अन्य भागो में जोर पकड़ने लगी है.लोग अब कड़ाके की ठंड में बदला लेने का यह अहिंसात्मक तरीका अपना रहे हैं.
कुछ लोग चुपचाप जाते हैं और अपने विरोधियों से मफलर मांग कर लौटते नहीं है ।अब वो मार नहीं रहे कह के ले रहे है.
विरोधी दल के नेता अरविंद केजरीवाल का कहना है “मफलर की संस्कृति को घर-घर तक ले जाने में उनकी पार्टी का सबसे बड़ा योगदान रहा है.
इसलिए कह के लेने की मुहीम में हमारा योगदान अमूल्य है”.उन्होंने अपने पार्टी वाले दिनों को याद करते हुए बहुत मफलर वाली सेल्फीज़ भी प्रेस को दी है।
अपना स्टैंड बदलते हुए हमारे सावंदाता हास्य द्विवेदी से अरविंद ने कहा “आज कुछ लोग हमारे मफलर पहनने जैसे राष्ट्रीय अभियान पर हमला कर रहे है.
संविधान ऑफ़ इंडिया हमें मफलर पहने की आजादी देता है। इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ले जाने के लिए हमारे कार्यकर्ता मफलर पहन कर देश विदेश में सभाये कर रहे हैं. “
देश में तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए धारा 144 लगा दी गई है. पुलिस वालों को हिदायत दी गई है की मफलर देखते ही इलाके की रेकी की जाए.इस बिच दोनों पक्ष संविधान ऑफ़ इंडिया का हवाला देते हुए आंदोलित है