कहानी का सारांश यह है कि दो दोस्त हमेशा की तरह एक सुनसान रास्ते से रात के समय गुजरते है । लेकिन एक रात बारिश के दौरान एक मोहिनी खूबसूरत रूप बदलकर एक दोस्त को संमोहित कर लेती है, दूसरे व्यक्ति के द्वारा अपने दोस्त को उस मोहिनी की सच्चाई बताने पर वह मोहिनी अपने रूप में आ जाती है |
रात के 9 बजे होंगे, विनय अपनी दुकान बंद कर घर जाने के लिए निकल रहा था कि तेज़ तूफान आने का अहसास हुआ। हवाओं में सूखे पत्ते उड़ – उड़कर रास्ते के वीराने को साथ देते से लगते थे। मिट्टी की सौंधी महक आने लगी थी जो आसपास कहीं बारिश के होने का संदेशा दे रही थी। विनय का नौकर राजू पास के ही गांव से शहर आता था, वैसे तो विनय की दुकान शहर के अंतिम कोने पर थी ।
राजू का गांव शहर से मात्र पांच किलोमीटर ही दूर था वह अपनी साइकिल पर सवार होकर आया – जाया करता था। आज जैसे ही उसने साईकिल उठाई तो देखा अरे ! यह तो पंक्चर है। इतने में विनय ने दुकान को लॉक कर दिया था, वह राजू के पास आकर बोला ,” राजू घर नहीं जाना क्या तुझे? ” राजू बोला , ” विनय भैया हमारी साईकिल तो पंचर है, अब इतनी तूफानी रात में कोई ठीक करने वाली दुकान भी नहीं खुली हुई होगी। ” विनय हंसकर बोला, ” अरे तो तू चिंता क्यों करता है, तेरे भैया किस दिन के लिए मोटरसाइकिल खरीदे हुए हैं। राज बोला, ” अरे गैया , आप रहन दो, हमारी वजह से क्यों तकलीफ लेनी, और फिर आप को पता नहीं गांव का रास्ता कितना खतरनाक है। ”
विनय राजू को छेड़ते हुए बोला, ” हां – हां बेटा तू अकेले ही उस रास्ते के खतरों और खतरे वाली को देखना चाहता है। राजू हैरान विनय को बोला, ” भैया आप शहर के लोगों को समझाना कितना मुश्किल है, यह बात बिल्कुल सच है कि इस रास्ते पर छलायन का वास है। वह जवान लड़कों का खून पीकर जिंदा रहती है और जवान भी। “मोहिनी खूबसूरत स्त्री बनकर जवान आदमियों को अपने मोहजाल में फांस लेती है विनय भैया । “ उसके आगे कोई जिंदा नहीं बच सकता है।
विनय ने राजू के आगे मोटरसाइकिल खड़ी कर बैठने का इशारा किया। ” आज उस हसीना को तो मैं देखकर ही रहूंगा” और खिलखिलाकर हंस पड़ा था विनय। जैसे ही मोटरसाइकिल शुरू की, बारिश की बूदें भी गिरने लगीं। पांच मिनट में बारिश ने घनघोर मूसलाधार रूप ले लिया था। विनय और राजू शहर के कुछ बाहर निकल आए थे।
राजू बुदबुदाने लगा, ” विनय भैया फटाफट 80 – 100 की स्पीड पे ले लो ” । विनय को बारिश के तेज़ थपेड़ों के कारण रोड बहुत कम – कम दिख रहा था। और रोड भी बारिश में फिसलनदार हो गया था। विनय बोला , ” राजू बारिश बहुत तेज़ है ,हमें यहीं किसी पेड़ या छांव के नीचे रुकना होगा। ” राजू मना करने लगा, ” विनय भैया , बिल्कुल नहीं रोकनी है आपको यहां, चलते जाइए भगवान के लिए। ” विनय एकाध मिनट बमुश्किल गाड़ी चला पाया कि उसे रोड दिखना बिल्कुल कम हो गया था और बारिश अपने चरमोत्कर्ष पर थी।
विनय ने ढाई किलोमीटर चलने के बाद एकाएक गाड़ी रोक दी और सामने एक कत्तल पोश ढंकी छायादार जगह देखकर बोला, ” उतर राजू यहीं रुकना पड़ेगा अब हमको, मुझसे ऐसी तेज़ बरसात में ड्राइविंग नहीं होगी। ” कहीं मर मरा जाएंगे दोनों एक्सिडेंट में राजू बहुत दबाव में नीचे उतरा, बेचारा इतना सहम गया था कि हनुमान चालीसा का पाठ करने लगा । विनय और वह दोनों उस टपरी में खड़े हुए। इतनी तेज़ बारिश में रात के करीब पौने दस का समय था कि कहीं से घुंधघरओं की छनक हुई। राजू की हालत पतली हो गई कि हो ना हो यह तो छलायन की ही आवाज़ है।
विनय ने भी वह आवाज़ सुनी थी पर विनय बहादुर था और उसे इन भूत – प्रेत में विश्वास भी नहीं था। तभी एक लाल रंग के सलवार कमीज़ पहनी हुई युवती उस भरी बरसात में रोड़ पर चलकर आ रही थी। उसने एक छाता लगाया हुआ था जो बारिश की तेज़ी को संभालने में अक्षम था। जिससे वह भीगी हुई – सी भी हो गई थी। विनय और राजू की तरफ उसके बढ़ते कदमों से राजू घबरा उठा , और विनय छाते की ओट में छिपे उसके चेहरे को देखने को उत्सुक हो उठा।
वह युवती ने विनय से कहा ” बाबू , इधर से गाँव कितनी दूर पड़ेगा ” ..राजू तो डर के मारे आँख बंद करके हनुमान चालीसा पढ़ा रहा था। विनय ने उस युवती के चेहरे को देख कर कहा ” आप बहुत सुन्दर है और अकेली रात में कहाँ घूम रही हैं ” इतना सुनते ही युवती ने जंगल की ओर हाथ दिखा कर विनय को देखने को कहा ” मै उधर रहती हु और मेरी बहिन इधर लकड़ी लेने आयी थी ” यह उसके शब्द थे , फिर विनय ने जब मुँह घुमाया वहाँ कोई नहीं था। विनय को समझ नहीं आया की वह युवती गयी कहाँ , राजू ने डरते डरते विनय से वहाँ से चलने को कहा |
कई सालो के बिट जाने के बाद भी विनय को उस युवती का चेहरा नहीं भुला और राजू आज भी उस रास्ते से अकेले नहीं जा पता. पता नहीं वह युवती कौन थी ?