बच्चों के लिए कहानियाँ – Hindi Story for kids

Hindi Story for kids

Short Moral Story In Hindi - काम छोटा या बड़ा नहीं होता है

काम छोटा या बड़ा नहीं होता है- hindi story kids

प्राचीन समय की बात है जब एक गुरु अपने शिष्यों के साथ कहीं दूर जा रहे थे। रास्ता काफी लंबा था और चलते – चलते सभी लोग थक से गए थे। सभी विश्राम करना चाहते हुए भी विश्राम नहीं कर पा रहे थे. अगर विश्राम करते तो गंतव्य स्थल पर पहुंचने में अधिक रात हो जाती। इसलिए वह लोग निरंतर चल रहे थे। रास्ते में एक छोटा नाला आया जिस को पार करने के लिए सभी को लंबी छलांग लगानी थी।

सभी लोगों ने लंबी छलांग लगाकर नाले को पार कर लिया । लेकिन छलांग लगाते वक़्त गुरुजी का कमंडल उस नाले में गिर गया। सभी शिष्य परेशान हुए एक रणधीर नाम का शिष्य शिष्य कमंडल निकालने के लिए सफाई कर्मचारी को ढूंढने चला गया। अन्य शिष्य बैठकर चिंता करने लगे , योजना बनाए लगे आखिर यह कमंडल कैसे निकाला जाए ?

गुरु जी परेशान से दिखने लगे क्यूंकि उनको अपने शिष्यों की शिक्षा पर संकोच होने लगा। गुरुजी ने सभी को स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया था। उनकी सिख पर कोई भी शिष्य वास्तविक जीवन में अमल नहीं कर रहा था । अंत तक वास्तव में कोई भी उस कार्य को करने के लिए अग्रसर नहीं हुआ , ऐसा देखकर गुरु जी काफी विचलित हुए। एक शिष्य राहुल उठा और उसने नाले में हाथ लगा कर देखा , किंतु कमंडल दिखाई नहीं दिया क्योंकि वह नाले के तह में जा पहुंचा था । तभी मदन ने अपने कपड़े संभालते हुए नाले में उतरा और तुरंत कमंडल लेकर ऊपर आ गया।

गुरु जी ने अपने शिष्य मदन की खूब प्रशंसा की और भरपूर सराहना की उसने तुरंत कार्य को अंजाम दिया और गुरु द्वारा पढ़ाए गए पाठ पर कार्य किया। तभी शिष्य गोपाल जो सफाई कर्मचारी को ढूंढने गया था वह भी आ पहुंचा , उसे अपनी गलती का आभास हो गया था।

कहानी से सीख

कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है , अपना काम स्वयं करना चाहिए। किसी भी संकट में होने के बावजूद भी दूसरे व्यक्तियों से मदद कम से कम लेना चाहिए।

हीरों का सच ( Tenali Rama hindi Story for kids )

राजा कृष्णदेवराय के दरबार में तेनालीराम नाम के मंत्री थे, जो कुशल और समझदार व्यक्ति थे। एक बार महाराज के सामने न्याय करना मुश्किल हो गया। ऐसे में तेनाली राम ने सूझबूझ से काम लिया और राजा की उलझन सुलझाई।

एक दिन रामदेव नाम का एक व्यक्ति राजमहल में आया और न्याय की गुहार लगाने लगा। राजा ने उससे पूछा कि क्या मामला है, तो रामदेव ने बताया कि वो कल अपने मालिक के साथ कहीं जा रहा था, तो उसे रास्ते में एक पोटली मिली जिसमें दो चमकते हीरे थे। मैंने हीरे देखकर कहा कि मालिक इन हीरों पर राज्य का अधिकार है, इसलिए इन्हें राजकोष में जमा करा देते हैं। यह बात सुनकर मालिक भड़क पड़ा और बोला कि हीरे मिलने की बात किसी को बताने की जरूरत नहीं है। इसमें से एक मैं रख लूंगा और एक तुम रख लेना। यह बात सुनकर मेरे दिल में लालच आ गया और मैं अपने मालिक के साथ उनकी हवेली लौट आया। हवेली आकर मालिक ने मुझे हीरे देने से इनकार कर दिया। महाराज मुझे न्याय दीजिए।

रामदेव का दुखड़ा सुनकर, महाराजा ने तुरंत मालिक को दरबार में पेश होने का आदेश दिया। रामदेव का मालिक बहुत कपटी था। दरबार में आकर बोला कि महाराज यह बात सच है कि हमें हीरे मिले थे, लेकिन वो मैंने रामदेव को दे दिए थे। मैंने रामदेव को आदेश दिया था कि इन हीरों को राजकोष में जमा करा देना। रामदेव के मन में लालच है, इसलिए वह झूठी कहानियां बना रहा है।

तेनालीराम की कहानी- हीरों का सच | Tenali Rama Stories In Hindi -Diamond Story In Hindi
Diamond story in hindi

महाराज बोले कि इसका क्या सबूत है कि तुम सच बोल रहे हो। रामदेव का मालिक बोला कि हुजूर आप बाकी के नौकरों से पूछ लीजिए, ये सभी वहां मौजूद थे। जब राजा ने अन्य तीन नौकरों से पूछा, तो उन्होंने भी यही कहा कि हीरे रामदेव के पास हैं। अब राजा बड़ी दुविधा में फंस गए। उन्होंने सभा खत्म कर दी और कहा कि फैसला कुछ समय बाद सुनाया जाएगा।

राजा ने भीतर अपने कमरे में अपने सभी मंत्रियों से सलाह मांगी। किसी ने कहा कि रामदेव ही झूठा है, तो कोई बोला कि रामदेव का मालिक दगाबाज है। राजा ने तेनाली राम की ओर देखा जो अब तक शांत खड़े थे। राजा ने पूछा तुम्हारा क्या विचार है तेनालीराम।

तेनालीराम बोले कि अभी दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा, लेकिन आप सभी को कुछ समय के लिए पर्दे की पीछे छुपना होगा। राजा इस मामले को जल्दी से जल्दी सुलझाना चाहते थे, इसलिए वह पर्दे के पीछे छुपने के लिए राजी हो गए।

अब शाही कमरे में सिर्फ तेनालीराम नजर आ रहे थे। उन्होंने अपने सेवक को आदेश दिया कि तीनों नौकरों को एक एक करके मेरे सामने पेश किया जाए। सेवक पहले नौकर को लेकर हाजिर हो गया। तेनालीराम ने उससे पूछा, “क्या तुम्हारे सामने तुम्हारे मालिक ने रामदेव को हीरे दिए थे।” गवाह ने हामी भरी। अब तेनालीराम ने उसे एक कागज और कलम देकर कहा, “तुम उस हीरे का चित्र बनाकर दिखाओ।”

नौकर घबरा गया और बोला, “जब मालिक ने रामदेव को हीरे दिए, तब वो लाल थैली में थे।” तेनाली राम ने कहा, “अच्छा चलो तुम यही खड़े रहो।” इसके बाद दूसरे नौकर को बुलाने का आदेश दिया गया। दूसरे नौकर से भी तेनाली राम ने यही पूछा, “अगर तुमने हीरे देखे थे, तो उनका चित्र बनाकर दिखाओ।” नौकर ने कागज लेकर उस पर दो गोल-गोल आकृतियां बना दीं।

अब तीसरे नौकर को बुलाया गया, उसने कहा, “हीरे भोजपत्र से बने एक लिफाफे में थे, इसलिए मैंने उन्हें नहीं देखा।” इतने में महाराजा और बाकी मंत्री पर्दे से बाहर निकल कर आ गए। उन्हें देखकर तीनों नौकर घबरा गए और समझ गए कि अलग-अलग जवाब देने से उनका झूठ पकड़ा जा चुका है। वो राजा के पैरों में गिर पड़े और बोले कि उनका कोई कसूर नहीं है, बल्कि मालिक ने ही उन्हें झूठ बोलने को कहा था, नहीं तो जान से मारने की धमकी दी थी।

गवाहों की बात सुनकर महाराज नेआदेश दिया कि इनके मालिक के घर की तलाशी ली जाए। तलाशी लेने पर दोनों हीरे मालिक के घर से मिल गए। इस बेईमानी के कारण उसे 1 हजार स्वर्ण मुद्राएं रामदेव को देने का आदेश दिया गया और 20 हजार स्वर्ण मुद्रा का जुर्माना भी लगाया गया। इस तरह तेनाली राम की होशियारी से रामदेव को न्याय मिला और वो राजा के दरबार से खुश होकर लौटा।

Tenali Rama small kids hindi story

कहानी से सीख


झूठ ज्यादा समय तक छिपा नहीं रह सकता। इसलिए, कभी झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए। साथ ही लालच का परिणाम हमेशा बुरा ही होता है।

मनपसंद मिठाई की कहानी -Tenali Rama small hindi story

तेनालीराम प्रबुद्ध जवाब देने के अपने नायाब तरीकों के कारण जाने जाते थे। उनसे कोई भी सवाल पूछा जाए, वह हरदम एक अलग अंदाज के साथ जवाब देते थे, फिर चाहे वो सवाल उनकी मनपसंद मिठाई का ही क्यों न हो ।

आइए जानते हैं कि कैसे तेनालीराम ने अपनी मनपसंद मिठाई के पीछे महाराज कृष्णदेव राय की मेहनत करवा दी।

सर्दियों की एक दोपहर महाराज कृष्णदेव राय, राजपुरोहित और तेनालीराम महल के बागीचे में टहल रहे थे। महाराज बोले, “इस बार बहुत गजब की ठंड पड़ रही है। सालों में ऐसे ठंड नहीं पड़ी थी । ये मौसम तो भरपूर खाने और सेहत बनाने का है। क्यों राजपुरोहित जी, आपका क्या कहना है ?”

बिल्कुल सही कह रहे हैं महाराज आप।

इस मौसम में ढेर सारे सूखे मेवे, फल और मिठाइयां खाने का मजा ही अलग होता है राजपुरोहित ने जवाब दिया।

Tenali Rama Short Stories In Hindi Sweets In Hindi
Tenali Rama Short story in hindi

मिठाइयों का नाम सुनकर महाराज बोले, “यह तो बिल्कुल सही कह रहे हैं आप। वैसे ठंड में कौन सी मिठाइयां खाई जाती हैं?”

राजपुरोहित बोले, “महाराज सूखे मेवों की बनी ढेर सारी मिठाइयां जैसे काजू कतली, बर्फी, हलवा, गुलाब जामुन, आदि.

ऐसी और भी कई मिठाइयां हैं, जो हम ठंड में खा सकते हैं. यह सुनकर महाराज हंसने लगे और तेनालीराम की तरफ मुड़कर बोले, “आप बताइए तेनाली। आपको ठंड में कौन सी मिठाई पसंद है?”

इस पर तेनाली ने जवाब दिया, “महाराज, राजपुरोहित जी, आप दोनों रात को मेरे साथ चलिए. मैं आपको अपनी मनपसंद मिठाई खिला दूंगा।” “साथ क्यों? आपको जो मिठाई पसंद है, हमें बताइए। हम महल में ही बनवा देंगे,” महाराज ने बोला।

“नहीं महाराज, वह मिठाई यहां किसी को बनानी नहीं आएगी। आपको मेरे साथ बाहर ही चलना होगा,” तेनाली ने कहा। “चलिए ठीक है। आज रात को खाने के बाद की मिठाई हम आपकी मनपसंद जगह से ही खाएंगे,” महाराज ने हंसकर कहा।

रात को खाना खाने के बाद महाराज और राजपुरोहित ने साधारण कपड़े पहने और तेनाली के साथ चल पड़े।

गांव पार करके, खेतों में बहुत दूर तक चलने के बाद महाराज बोले, “हमें और कितना चलना पड़ेगा तेनाली? आज तो तुमने हमें थका दिया है।” “बस कुछ ही दूर और,” तेनाली ने उत्तर दिया।

जब वो सभी मिठाई वाली जगह पहुंच गए, तो तेनाली ने महाराज और राजपुरोहित को एक खाट पर बिठवा दिया और खुद मिठाई लेने चले गए।

थोड़ी देर में वे अपने साथ तीन कटोरियों में गर्मा गर्म मिठाई ले आए।

जैसे ही महाराज ने उस मिठाई को चखा उनके मुंह से वाह से अलावा और कुछ नहीं निकला. महाराज और राजपुरोहित एक बार में पूरी मिठाई चट कर गए।

इसके बाद उन्होंने तेनाली से कहा, “वाह पंडित रामाकृष्णा! मजा आ गया! क्या थी यह मिठाई? हमने यह पहले कभी नहीं खाई है।”

महाराज की बात पर तेनालीराम मुस्कुराए और बोले, “महाराज ये गुड़ था। यहां पास ही में गन्नों का खेत है और किसान उसी से यहां रात को गुड़ बनाते हैं।

मुझे यहां आकर गुड़ खाना बहुत पसंद है.

मेरा मानना है कि गर्मागर्म गुड़ भी बेहतरीन मिठाई से कम नहीं होता।”

बिल्कुल, पंडित रामा, बिल्कुल। इसी बात पर हमारे लिए एक कटोरी मिठाई और ले आइए। इसके बाद तीनों ने एक कटोरी गुड़ और खाया और फिर महल को लौट गए।

कहानी से सीख


यह कहानी हमें है कि छोटी-छोटी चीजों में भी वो खुशी मिल सकती है, जो कई पैसे खर्च करने पर भी नहीं मिलती।

तेनालीराम और ब्राह्मणों की कहानी- hindi story kid

राजा कृष्णदेव राय के राज्य में तेनालीराम की बुद्धि और चतुराई के किस्से काफी मशहूर थे। इसी वजह से राजगुरु के साथ-साथ राज्य के कई ब्राह्मण तेनालीराम को पसंद नहीं करते थे। वह मानते थे कि निम्न श्रेणी का ब्राह्मण होते हुए भी वह अपने ज्ञान से उन्हें नीचा दिखाता है।

इसी कारण सभी ब्राह्मणों ने मिलकर तेनालीराम से बदला लेने का मन बनाया और राजगुरु के पास पहुंच गए। सभी ब्राह्मण जानते थे कि ठीक उन लोगो की तरह राजगुरु भी तेनालीराम को पसंद नहीं करते। इसलिए, राजगुरु उनके इस काम में मदद जरूर करेंगे।

सभी ब्राह्मणों ने राजगुरु को अपने ईक्षा बताई और मिलकर तेनालीराम से बदला लेने की एक योजना बनाई। उन्होंने सोचा क्यों न तेनालीराम को शिष्य बनाने का खेल रचा जाए । शिष्य बनाने के नियमानुसार शिष्य बनने वाले व्यक्ति के शरीर को दागा जाता है।

इस तरह उनका बदला भी पूरा हो जाएगा और बाद में वह सभी उसे निचे श्रेणी का ब्राह्मण बताकर शिष्य बनाने से इनकार कर देंगे। इससे वो सभी तेनालीराम को नीचा भी दिखा पाएंगे।

Tenali Rama Stories In Hindi - Brahmins Plan In Hindi

, अगले ही दिन राजगुरु ने तेनालीराम को अपना शिष्य बनाने की बात बताने के लिए अपने घर बुलवाया। राजगुरु के निमंत्रण पर तेनालीराम राजगुरु के घर पहुंच गए और उसे बुलाने का कारण पूछा। राजगुरु ने कहा, ‘तुम्हारी बुद्धि और ज्ञान को देखते हुए मैं तुम्हें अपना शिष्य बनाना चाहता हूं।’

राजगुरु की यह बात सुनकर तेनालीराम को समझ आ गया कि कुछ तो गड़बड़ जरूर है। उसने राजगुरु से पूछा, ‘आप मुझे शिष्य कब बनाएंगे?’

गुरु ने कहा, ‘मंगलवार का दिन इस शुभ काम के लिए सही रहेगा।’ राजगुरु ने नए कपड़े देते हुए कहा, ‘तेनालीराम मंगलवार को तुम यह नए कपड़े पहन कर आना। तब मैं तुम्हें अपना शिष्य बना लूंगा और साथ ही तुम्हें 100 सोने के सिक्के भी दिए जाएंगे.

गुरु की बात सुनकर तेनालीराम ने कहा, ‘ठीक है फिर मैं मंगलवार को सुबह आपके घर आ जाऊंगा।’ इतना कहकर तेनालीराम अपने घर चला आया।

राजगुरु को तेनालीराम ने बिल्कुल भी आभास नहीं होने दिया कि उसे उनकी बात पर कुछ संदेह हो रहा है।

घर आकर तेनालीराम ने सारी बात अपनी पत्नी को बताई। बात सुनने के बाद तेनालीराम की पत्नी बोली, ‘आपको राजगुरु की बात नहीं माननी चाहिए थी।

इसमें राजगुरु की जरूर कोई चाल होगी, क्योंकि बिना मतलब के राजगुरु कोई काम नहीं करता है।’ पत्नी के मुंह से यह बात सुनकर तेनालीराम कहता है, ‘चिंता की जरूरत नहीं ,राजगुरु को तो मैं देख ही लूंगा।’

तेनालीराम ने अपनी पत्नी से कहा, ‘मुझे पता चला है कि कुछ दिन पहले कई ब्राह्मण राजगुरु के घर कोई सभा करने गए थे। उन ब्राह्मणों में सोमदत्त नाम का ब्राह्मण भी गया था। सोमदत्त को मैं अच्छी तरह जानता हूं। वह बहुत ही गरीब है और उसके घर की रोटी-पानी भी मुश्किल से चलती है।

ऐसे में अगर मैं उसे कुछ सोने के सिक्के दूंगा, तो संभव है कि वह मुझे उस सभा में हुई सभी बातें बता देगा और मैं जान पाऊंगा कि आखिर राजगुरु के दिमाग में क्या चल रहा है?’

इतना कहते हुए तेनालीराम उठकर सोमदत्त के घर गए । सोमदत्त के हाथों में दस सोने के सिक्के रखते हुए तेनालीराम उस सभा में हुई सभी बातों के बारे में बताने को कहता है।

पहले तो सोमदत्त कुबताने को तैयार नहीं होता, लेकिन कुछ देर मनाने के बाद वह 15 सोने के सिक्कों के बदले सब कुछ बताने को तैयार हो जाता है।

राजगुरु द्वारा तैयार की गई उससे बदला लेने की पूरी योजना जानने के बाद तेनालीराम राजगुरु को सबक सिखाने के लिए सोचने लगता है।

फिर मंगलवार के दिन तेनालीराम राजगुरु द्वारा दिए गए कपड़ों को पहनकर राजगुरु के घर शिष्य बनने के लिए पहुंच जाता है। शिष्य बनाने की विधि शुरू की जाती है और राजगुरु तेनालीराम को 100 सोने के सिक्के देते हुए वेदी पर बैठने को कहता है।

तेनालीराम भी झट से हाथ आगे बढ़ाकर सोने के सिक्के ले लेता है और शिष्य विधि को पूरा करने के लिए बैठ जाता है।

तभी राजगुरु इशारा देकर साथी ब्राह्मणों से शंख और लोहे के चक्र को गर्म करने के लिए कहते हैं, ताकि विधि पूरी होने पर उससे तेनालीराम को वो दाग सकें।

विधि आधी ही पूरी हुई थी कि अचानक तेनालीराम दिए गए 100 सोने के सिक्कों में से 50 सोने के सिक्के राजगुरु पर फेंकता है और वहां से भाग खड़ा होता है। तेनालीराम को भागता देख राजगुरु और उनके साथी ब्राह्मण भी तेनालीराम के पीछे-पीछे भागने लगते हैं।

बचने की कोई स्थिति न दिखाई देने पर तेनालीराम सीधे भागता हुआ राज दरबार में पहुंच जाता है। वहां पहुंच कर तेनालीराम राजा कृष्णदेव राय को बताता है, ‘राजगुरु ने मुझे शिष्य बनने का निमंत्रण दिया था, मगर मुझे तब याद नहीं रहा कि मैं निम्न श्रेणी का ब्राह्मण हूं, जो राजगुरु का शिष्य नहीं बन सकता।

जब यह बात मुझे याद आई तब तक आधी विधि पूरी हो चुकी थी। इसलिए, मैं राजगुरु द्वारा दिए गए 100 सोने के सिक्कों में से 50 सोने के सिक्के वापस करते हुए वहां से भाग गया । फिर भी राजगुरु मुझे जानबूझ कर दागना चाहते हैं, जबकि वास्तविकता में मैं उनका शिष्य बन नहीं सकता।

जब राज दरबार में राजगुरु पहुंचे, तो राजा ने उनसे इस बारे में पूरी बात पूछी। तब राजगुरु ने अपना असली मन की बात छिपाते हुए राजा से कहा, ‘मुझे भी बिल्कुल याद नहीं था कि तेनालीराम निम्न श्रेणी का ब्राह्मण है।’

इस पर राजा बोले, ‘तब तो तेनालीराम को उसकी ईमानदारी का ईनाम दिया जाना चाहिए।’ इतना कहते हुए राजा ने तेनालीराम को इनाम के रूप में एक हजार सोने के सिक्के भेंट किए।

कहानी से सीख


यह कहानी हमें सीख देती है कि दिमाग का इस्तेमाल करके बड़ी से बड़ी समस्या को आसानी से हल किया जा सकता है।

हर काम अपने समय पर होता :बच्चों के लिए कहानियाँ

एक बार एक व्यक्ति भगवान् के दर्शन करने पर्वतों पर गया| जब पर्वत के शिखर पर पहुंचा तो उसे भगवान् के दर्शन हुए| वह व्यक्ति बड़ा खुश हुआ|

उसने भगवान से कहा – भगवान् लाखों साल आपके लिए कितने के बराबर हैं ?

Short Inspirational Story In Hindi | God And Man Story In Hindi

भगवान ने कहा – केवल 1 मिनट के बराबर

फिर व्यक्ति ने कहा – भगवान् लाखों रुपये आपके लिए कितने के बराबर हैं ?

भगवान ने कहा – केवल 1 रुपये के बराबर

तो व्यक्ति ने कहा – तो भगवान क्या मुझे 1 रुपया दे सकते हैं ?

भगवान् मुस्कुरा के बोले – 1 मिनट रुको वत्स….हा हा

समय से पहले और नसीब से ज्यादा ना कभी किसी को मिला है और ना ही मिलेगा| हर काम अपने वक्त पर ही होता है| वक्त आने पर ही बीज से पौधा अंकुरित होता है, वक्त के साथ ही पेड़ बड़ा होता है, वक्त आने पर ही पेड़ पर फल लगेगा| तो दोस्तों जिंदगी में मेहनत करते रहो जब वक्त आएगा तो आपको फल जरूर मिलेगा |

रामलीला की कहानी ( Ramlila story in hindi )

तेनालीराम हमेशा बुद्धिमता से सबका मन जीतने के लिए माने जाते थे। आए दिन राज्य पर आई किसी न किसी समस्या को सुलझाने के लिए वे अपने दिमाग लगाया करते थे। इसी तरह जब एक बार दशहरा पर नाटक मंडली विजयनगर नहीं पहुंच पाई, तो तेनाली ने क्या किया, आइए जानते हैं।

बनारस की एक नाट्य मंडली हमेशा दशहरे से पहले विजयनगर आया करती थी। यह नाटक मंडली विजयनगर में रामलीला किया करती थी और नगर वासियों का मनोरंजन करती थी। यह एक तरह से विजयनगर की संस्कृति थी और यह हर साल हुआ करता था, लेकिन एक साल ऐसा आया जब काशी नाटक मंडली के कुछ सदस्य बीमार पड़ गए और उन्होंने कह दिया कि वो विजयनगर नहीं आ पाएंगे। यह सुनकर महाराज कृष्णदेव राय और सारी प्रजा बहुत उदास हो गई।

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Tenali Rama Story in hindi

दशहरे में अब सिर्फ कुछ ही दिन बाकी थे और ऐसे में किसी और नाटक मंडली को बुलाकर रामलीला का आयोजन करवाना बहुत मुश्किल था। मंत्रियों और राजगुरु ने आसपास के गांव की नाटक मंडली को बुलाने की कोशिश की, लेकिन किसी का भी बुला पाना बहुत मुश्किल था। सबको निराश देख तेनालीराम ने कहा, “मैं एक नाटक मंडली को जानता हूं। मुझे यकीन है कि वो विजयनगर में रामलीला करने के लिए जरूर तैयार हो जाएंगे।”

तेनाली की यह बात सुनकर सब खुश हो गए। इसके साथ ही राजा ने तेनाली को मंडली बुलाने की जिम्मेदारी सौंप दी और तेनाली ने भी रामलीला की तैयारी करना शुरू कर दी। विजयनगर को नवरात्र के लिए सजाया गया और रामलीला मैदान की साफ-सफाई करवा कर वहां बड़ा-सा मंच बनवाया गया। उसी के साथ मैदान पर बड़ा-सा मैला भी लगवाया गया।

जब नगर में रामलीला होने की खबर फैली, तो सारी जनता रामलीला देखने के लिए उत्सुक हो गई। रामलीला वाले दिन सभी लोग रामलीला देखने के लिए मैदान में इकट्ठे हो गए। वहीं, महाराज कृष्णदेव राय, सभी मंत्रीगण और सभा के अन्य सदस्य भी वहां मौजूद थे।

सभी ने रामलीला का खूब मजा उठाया। जब नाटक खत्म हो गया, तो सभी ने उसकी बहुत तारीफ की। खासकर, नाटक मंडली में मौजूद बच्चों की कलाकारी सभी को बहुत पसंद आई थी। महाराज सभी से इतना खुश थे कि उन्होंने पूरी नाटक मंडली को महल में खाना खाने का न्योता दे दिया।

जब पूरी मंडली महल आई तो सभी ने महाराज, तेनाली और अन्य मंत्रीगण के साथ भोजन किया। इस दौरान महाराज ने तेनालीराम से पूछा कि उन्हें इतनी अच्छी मंडली कहां से मिली? इस पर तेनाली ने उत्तर दिया, “ये मंडली बाबापुर से आई है, महाराज।”

बाबापुर? इस जगह का नाम तो हमने कभी नहीं सुना। कहां है ये?”, महाराज ने आश्चर्य से पूछा।

“यहीं विजयनगर के पास ही है, महाराज।”

तेनाली की यह बात सुनकर मंडली के सदस्य मुस्कुराने लगे। इस पर महाराज ने उनसे मुस्कुराने की वजह पूछी, तो मंडली का एक बच्चा बोला, “महाराज, हम विजयनगर के ही रहने वाले हैं। इस मंडली को तेनाली बाबा ने तैयार करवाया है और इसलिए हमारा नाम बाबापुर की मंडली है।”

बच्चे की यह बात सुनकर महाराज सहित सभी लोग ठहाके लगाने लगे।

कहानी से सीख


बच्चों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिसे दूर न किया जाए सके। बस, इसके लिए संयम और बुद्धिमानी से काम लेने की जरूरत होती है, जैसे इस कहानी में तेनालीराम ने किया।

छोटे बच्चों के लिए कहानियाँ : मटके की कहानी

एक बारकिसी कारण से राजा कृष्णदेव राय तेनालीराम से नाराज हो गए थे। वे उनसे इतना नाराज हो गए कि उन्होंने कहा, “पंडित, अब आप हमें अपनी शक्ल नहीं दिखाएंगे और अगर आपने हमारे आदेश का पालन नहीं किया, तो हम आपको कोड़े मारने का आदेश देंगे।” महाराज की यह बात सुनकर तेनालीराम वहां से चुपचाप चले गए।

Tenaliram story in hindi
Tenaliram story in hindi

अगले दिन जब दरबार लगा, तो तेनालीराम से जलने वाले कुछ मंत्रियों ने महाराज के दरबार में आने से पहले ही उनके कान भरने शुरू कर दिए। उन्होंने कहा, “महाराज , आपके मना करने के बावजूद तेनाली दरबार में आ पहुंचे हैं। इतना ही नहीं, यहां आकर वे हंसी मजाक भी कर रहे हैं। यह तो आपके आदेश की अवहेलना है। उन्हें इसकी सजा मिलनी ही चाहिए।” यह सुनकर, महाराज आग बबूला हो गए और अपनी गति दोगुनी करके दरबार की ओर बढ़ने लगे।

राजा जैसे ही दरबार में पहुंचे, उन्होंने देखा कि तेनालीराम अपने मुंह पर एक मटका पहने दरबार में खड़े हैं। बस उनकी आंखों के आगे मटके में दो छेद थे। उनकी इस हरकत को देखकर महाराज कृष्णदेव राय ने गुस्से में उनसे कहा, “पंडित , हमने आपसे कहा था कि आप हमें अपनी शक्ल नहीं दिखाएंगे। फिर ऐसा क्या हुआ कि आपने हमारे आदेश का पालन नहीं किया?”

महाराज की बात पर तेनालीराम ने कहा, “महाराज मैंने आपको मेरी शक्ल कहां दिखाई? चेहरे पर तो मैंने ये गोल मटका पहना हुआ है। हां, मेरी आंखों पर मौजूद इन दो छेदों से मुझे आपका चेहरा दिख रहा है, लेकिन आपने मुझे आपकी शक्ल देखने से तो मना नहीं किया है न?”

तेनालीराम की यह बात सुनकर महाराज कृष्णदेव राय को हंसी आ गई और वो ठहाका मारकर हंस पड़े। उन्होंने कहा, “पंडित तेनाली, आपकी बुद्धि के आगे हमारा गुस्सा करना मुमकिन ही नहीं है। अब इस मटके को उतारें और अपनी जगह पर बैठ जाएं।”

कहानी से सीख

परिस्थिति चाहे जैसी हो, उसे अपने पक्ष में किया जा सकता है। बस इसके लिए दिमाग से काम लेने की जरूरत है।

तेनालीराम और बिल्ली की कहानी : best hindi story for kids

विजयनगर में राजा कृष्णदेव राय का राज था। एक बार विजयनगर में चूहों ने खूब तबाही मचाई, जिससे पूरी प्रजा परेशान थी। चूहे आए दिन किसी के कपड़े कुतर जाते, तो किसी की फसल और अनाज को बर्बाद कर देते थे । इससे परेशान होकर एक दिन पूरी प्रजा राजा कृष्णदेव राय के दरबार में पहुंची और उनकी समस्या दूर करने की प्रार्थना की।

प्रजा के मुखिया ने राजा कृष्णदेव राय से कहा, महाराज, हमें चूहों के आतंक से आजादी दिलाइए। हम इन चूहों के आंतक से परेशान हो चुके हैं। मुखिया की बात सुनकर राजा ने आदेश दिया कि हर घर में एक बिल्ली पाली जाए और उसकी देखभाल की जाए। बिल्लियों की देखभाल के लिए उन्होंने हर घर में एक-एक गाय भी दे दी। महाराज ने तेनालीराम को भी एक बिल्ली और एक गाय दी।

Tenali Rama Stories In Hindi Cat Story In Hindi
Tenali rama hindi story

बिल्लियों के आने से चूहे कुछ ही दिनों में भाग गए और गायों का दूध पीकर बिल्लियां खूब माेटी हो गईं। अब प्रजा के सामने एक ही समस्या थी कि समय से बिल्लियों को दूध दिया जाए और गायों का पालन किया जाए। वहीं, बिल्लियां दूध पी-पीकर इतनी मोटी हो गईं कि बिल्लिया चलना फिरना सब बंद कर चुकी थी ।

तेनालीराम की बिल्ली भी मोटी और सुस्त हो गई थी। वह अपनी जगह से हिलती भी नहीं थी। एक दिन बिल्ली के आलसीपन से परेशान होकर तेनालीराम को योजना बनाया । उसने रोज की तरह बिल्ली के सामने दूध से भरा कटोरा रख दिया, लेकन इस बार दूध बहुत गरम था। उसे मुंह लगाते ही बिल्ली का मुंह जल गया और उसने दूध नहीं पिया।

इस तरह कई दिन निकल गए, जिससे बिल्ली दुबली हो गई और भागने भी लगी। इसी बीच राजा कृष्णदेव राय ने सभा में बिल्लियों का निरीक्षण करने का ऐलान कर दिया और एक तय दिन पर पूरी प्रजा को अपनी-अपनी बिल्लियां दरबार में लाने का आदेश दिया।

सभी की बिल्लियां बहुत मोटी हो गई थीं, लेकिन तेनालीराम की बिल्ली बहुत दुबली थी। राजा ने इसका कारण पूछा, तो उसने कहा कि मेरी बिल्ली ने दूध पीना छोड़ दिया है। राजा ने इस बात को नहीं माना और उसने एक कटोरा दूध बिल्ली के सामने रखा। दूध को देखते ही बिल्ली भाग खड़ी हुई।

इस घटना को देख कर सभी दंग रह गए। राजा ने तेनालीराम से इसका राज जानना चाहा। तब तेनालीराम ने कहा, “महाराज अगर सेवक ही आलसी हो जाए, तो उसका रहना मालिक पर बोझ बन जाता है। वैसे ही इन सभी बिल्लियों के साथ भी है। मैंने अपनी बिल्ली का आलसपन मिटाने के लिए उसे गर्म दूध दिया जिससे उसका मुंह जल गया और वह खुद से ही अपना भोजन तलाशने लगी। इससे वह ठंडा दूध देखकर भी भाग जाती और अपना भोजन खुद ही तलाश करती। धीरे-धीरे यह चुस्त और तेज हो गई, ठीक ऐसे ही मालिक को अपने सेवक के साथ करना चाहिए और उसे आलसी नहीं बनने देना चाहिए।”

तेनालीराम की बात राजा को पसंद आई और उन्होंने तेनालीराम को एक हजार स्वर्ण मुद्राएं इनाम में दीं।

कहानी से सीख


हमें कभी भी किसी को इतना आराम नहीं देना चाहिए कि वह आलस से भर ज जाए , जैसे इस कहानी में बिल्ली के साथ हुआ। साथ ही मेहनत करने वाली की सभी कद्र करते हैं।

दूध ने कैसे जान बचाई : छोटे बच्चों की कहानी

एक गरीब लड़के की एक ऐसा लड़का जिसके फैमिली में ज्यादा पैसा नहीं था वो स्कूल के बाद में घर घर जा कर के सामान बेचता था और उस सामान से जो पैसा इसे मिलता था उस पैसे से वो स्कूल की फीस भरता था।

ये लड़का एक दिन ऐसे ही दोपहर में निकला हुआ था सामान बेचने के लिए घर घर जा रहा था दरबाजा खाट खाटा रहा था। उसे जोर की भूख लग रही थी तो उसने निर्णय लिया की अब वो जिस भी घर का दरबाजा खाट खटाएगा उसे पैसे के बदले खाना मांग लेगा।

ये जा कर के दरवाजा खाट खटाया। जब दरवाजा खुला तो अंदर से एक लड़की निकली लड़की को देख करके हका बका हो गया तो उसने अचानक से घबरा कर के एक गिलास पानी मांग लिया,

एक गिलास पानी मिलेगा। वो लड़की अंदर गयी किचन में जा करके सोचने लगी ये लड़का बड़ा परेशान सा हो रखा है

Motivational stories in hindi ,एक गिलास दूध ने कैसे जान बचाई Motivational stories in hindi

पसीना आ रहा है सामान लेके ढो रहा है इधर से उधर सामान बेच रहा है मुझे लगत है भूखा होगा तो उस लड़की ने एक गिलास दूध ले के आई और दूध ला कर के इस लड़के को दे दिया और उस लड़के ने दूध पीलिया धीरे धीरे और सोच रहा था ऊपर वाला अभी है अभी भी इंसानियत जिन्दा है

उपरवाले का धन्यवाद करनी चाहिए सारी अच्छी बातें इसके दिमाग में आ रही थी की दूसरे की मदद करनी चाहिए। दूध पिने के बाद इस लड़के ने गिलास वापस दिया और बोलै की इसके बदलें में कितने पैसे दू तो लड़की ने कहा की पैसे क्यों दोगे,

मेरी मां हमेसा मुझे कहती है की अगर किसी की मदद करे तो पैसे नहीं लेनी चाहिए तो आप कुछ मत दीजिये तो फिर इस लड़के ने कहा की तो आप कुछ सामान खरीद लीजिये कुछ लेना है खरीदना है

तो लड़की ने कहा की हमें कोई सामान नहीं चाहिए तो फिर इस लड़के ने कहा की तो फिर मैं आपको सिर्फ इतना कहूंगा की दिल से धन्यवाद आपने मेरी मदद की मुझे भूख लगी थी

अपने भूखे को दूध पीला दिया बहुत बहुत शुक्रिया ऐसा बोल कर के वो वहां से चल दिया और गली में जब जा रहा था तो सोच रहा था की इंसानियत अभी जिन्दा है वो लड़की मेरे लिए एक गिलास दूध लेके आ गयी मेरी मदद कर दी ऊपर वाल मदद करता है.

बहुत सारी अच्छी अच्छी बाते इसके दिमाग में चल रही थी। स लड़के ने पढ़ाई पूरी की स्कूल की पढ़ाई पूरी की कॉलेज की पढ़ाई पूरी की.

उसके बाद बड़े शहर में बड़ा डॉक्टर बन गया इधर ये जो लड़की थी जब वो बड़ी हो रही थी तो इसकी फैमिली की इस्तिथि बदल गयी.

इस लड़की की तबियत बिगड़ गयी वहा के लोकल डॉक्टर ने कहा इसे बड़े शहर में ले जाइये बड़े डॉक्टर को दिखाइए तो इसे ले जा कर के एक बड़े से हॉस्पिटल में भर्ती कर दिया गया।

वही हॉस्पिटल जहा ये लड़का डॉक्टर बन चूका था इस लड़के के पास में वो केस आया की इस तरीके से एक लड़की सीरियस इस्तिथि में है.

बीमार है ICU में रखी गयी है इन्होने उसके बारे में पढ़ा गांव का नाम पढ़ा तो इसे याद आया की ये तो वही लड़की है। जा कर के देखा तो उसे समझ आया की ये तो वही लड़की है.

इसकी तो मदद करनी चाइये इसने और एक्सपर्ट डॉक्टर को बुलाया सारी जी जान लगादी उसको ठीक करने में. अंततः उसकी तबियत धीरे धीरे ठीक होने लगी.

जब वो ठीक हो गयी तो डॉक्टर साहब ने इलाज के बाद में जो बिल जाता है उसे लिफाफे में एक छोटा सा नोट पेन से लिख कर के उसमे जोर दिय.

तो ये लिफाफा जब इस लड़की के पास में पहुँचता है जब वो ठीक हो चुकी थी तो इसने देखा की इसके पास में बिल आ चूका है तो ये घबरा गयी क्यों की ये ठीक तो हो चुकी थी.

लेकिन इसके फैमिली की इस्तिथि ऐसी नहीं थी की ये अब बिल भर सके तो ये सोचने लगी की पता नहीं कितने का बिल आया होगा.

इसने वो लिफाफा खोला उसमे उस इलाज के बारे में सब कुछ लिखा हुआ था और साथ में एक छोटी सी पर्ची चिपका हुआ था

जिसपे पेन से कुछ लिखा हुआ था तो जब उसने ध्यान से उसे पढ़ा तो उस पर लिखा हुआ था की आपने इलाज का बिल बहुत सालों पहले एक गिलास दूध से pay कर दिया गया है

डॉक्टर साहब वहा पहुंचे उसको देख कर के इस लड़की ने भी पहचान लिया और उसने कहा आपका दिल से धन्यवाद। अपने उस दिन मुझे दिल से धन्यवाद कहा था आज मैंने आपको दिल धन्यवाद।

कहानी से सीख

अगर आप अच्छा करतें हैं तो जिंदगी में अच्छाई घूम कर के अच्छाई अपने पास जरूर आएगी और अगर आप बुरा करते है तो वो बुराई घूम फिर के आपके पास जरूर आएगी।

OLA ड्राइवर :बच्चों की कहानी

एक दिन मैं एक ola ओला कैब में जा रहा था और हम हवाई अड्डे के लिए रवाना हुए। हम सही लेन में गाड़ी चला रहे थे जब अचानक एक काली कार ठीक हमारे सामने पार्किंग की जगह से निकल गई।

मेरे टैक्सी ड्राइवर ने अपने ब्रेक पर पटक दिया, स्किड किया, और दूसरी कार को सिर्फ इंच तक से बचा कर टकराने से बच लिया ! दूसरी कार के ड्राइवर ने गाडी से उतर कर हम पर चिल्लाने लगा।

मेरा टैक्सी ड्राइवर बस मुस्कुराया और माफ़ी मांग ली और मेरा मतलब है, वह वास्तव में दोस्ताना था।

तो मैंने पूछा, ‘तुमने ऐसा क्यों किया? उस आदमी ने आपकी कार को लगभग तोड़ने के सिमा तक ले गया था और हमें अस्पताल भेज दिया होता ! तभी मेरे टैक्सी ड्राइवर ने मुझे सिखाया कि मैं अब क्या कहता हूं, ‘द लॉ ऑफ द गारबेज ट्रक’। मै उसके अंग्रेजी की जानकारी से प्रसन्न और अचंभित दोनों था।

मेरे ड्राइवर ने समझाया कि बहुत से लोग कचरा ट्रकों की तरह हैं। वे कचरे से भरे, निराशा से भरे, क्रोध से भरे और निराशा से भरे हुए हैं। जैसा कि उनका कचरा ढेर हो जाता है,

उन्हें इसे डंप करने के लिए जगह की आवश्यकता होती है, और कभी-कभी वे इसे आप पर डंप करेंगे। ऐसे लोगो की बातो को व्यक्तिगत रूप से नहीं लेते। बस मुस्कुराहट की लहर छोड़ कर निकल जाइये , उन्हें अच्छी तरह से शुभकामनाएं, और आगे बढ़ें। उनके कचरे को लेने की जरूरत नहीं और इसे अन्य लोगों को काम पर, घर पर, या सड़कों पर फैला दें। कहने का मतलब यह है कि सफल लोग कचरा ट्रकों को अपने दिन नहीं लेने देते हैं।

ज़िंदगी बहुत कम है कि सुबह उठकर पछतावा हो, इसलिए …. ‘उन लोगों से प्यार करो जो आपके साथ सही व्यवहार करते हैं। जो नहीं है उसके लिए प्रार्थना करो। ‘ जीवन दस प्रतिशत है जो आप इसे बनाते हैं और नब्बे प्रतिशत आप इसे कैसे लेते हैं।

कुम्हार की कहानी

एक गांव में एक कुम्हार और उसकी बीवी रहते थे। कुम्हार सवभाव से बहुत लालची था। उसकी बीवी अच्छे सवभाव की महिला थी। कुम्हार मिट्टी के बर्तन बना कर अपने घर का गुजारा करता था।

लेकिन वह इससे सन्तुष्ट नहीं था वह ज्यादा पैसे कमाना चाहता था। उसने बड़ी मेहनत से कुछ मिटटी के बर्तन बनाएं जिसे वह बेचने के लिए शहर चला गया।

उसे अबकी बार अपने मिटटी के बर्तनों का अच्छा दाम मिलने की उम्मीद थी लेकिन अबकी बार भी उसको पहले वाला ही दाम अपने बर्तनों के लिए मिल रहा था।

उसने उसी दाम में अपने सभी बर्तन बेच दिए। बर्तन बेचने के बाद उसके बाद अपने घर के लिए निकला लेकिन जाते जाते रात हो गयी। घर जाने के लिए उसको एक जंगल से होकर गुजरना पड़ा।

जंगल में कुम्हार को एक पेड़ के ऊपर एक जिन्न दिखा जिसकी चोटी थी। वह जिन्न को देखकर डर गया लेकिन तभी उसको अपनी दादी की याद आयी जो उसको जिन्न के बारे में बताती थी की यदि जिन्न की चोटी हाथ में आ जाए तो वह सब इच्छा पूरी कर देता है।

कुम्हार ने एक तरक़ीब सोची और जिन्न को बोला मुझे एक परी मिली थी वह एक जिन्न से शादी करना चाहती थी लेकिन वह उसी जिन्न से शादी करेगी जिसकी एक हाथ लम्बी चोटी हो।

कुम्हार की बात को सुनकर जिन्न बहुत खुश हुआ और कुम्हार को बोला मेरी एक हाथ लम्बी चोटी है।

इस पर कुम्हार बोला मुझे नहीं लगता तुम्हारी चोटी एक हाथ लम्बी है इस पर जिन्न परी से शादी करने के चक्कर में कुम्हार से अपनी चोटी दिखाने लगा तभी कुम्हार ने बड़ी चतुराई से उसकी चोटी काट ली।

जिन्न बोला यह तुमने क्या किया तुमने मुझे गुलाम बना लिया कुम्हार बोला हा मैंने तुम्हारी चोटी लेने के लिए तुमसे परी वाली कहानी बोली।

उसने कहा अब तुम मेरी सारी इच्छा को पूरा कर दो। जिन्न ने बोला आप हुक्म करो। कुम्हार बोला तुम मेरे घर को बड़े आलिशान घर में बदल दो और मेरा घर जमींदार के घर के पास रख दो।

जिन्न ने ऐसा ही किया उसका घर जमींदार के घर के पास रख दिया और उसका घर जमींदार के घर से भी अच्छा हो गया।

इसके बाद कुम्हार ने जिन्न को बोला तुम मेरी बीवी को गहनों से भर दो और हमारे घर में बहुत से हीरे जवाहरात रख दो।

जिन्न ने ऐसा ही किया। जब कुम्हार ने घर जाकर देखा तो वह बहुत खुश हुआ।

कुम्हार ने घर जाकर अपनी बीवी को सारी बात बताई। कुम्हार की बीवी को किसी को कैद करना अच्छा नहीं लगा। कुम्हार ने जिन्न की चोटी को एक घर के एक बर्तन के अंदर छुपा दिया।

इसके बाद कुम्हार और उसकी बीवी के दिन पूरी तरह से बदल गए।

जमींदार की बीवी और अन्य गांव की महिलाएं कुम्हार की बीवी के गहने देखने के लिए आने लगे। कुछ दिनों के बाद दिवाली आने लगी तो कुम्हार की बीवी कुम्हार को घर की साफ़ सफ़ाई करने को बोलने लगी।

कुम्हार ने कहा हमको घर की साफ़ सफ़ाई करने की क्या जरुरत है हम यह जिन्न से करवा सकते है।

इसके बाद उसने ताली बजाई और जिन्न हाज़िर हो गया। कुम्हार ने जिन्न को पुरे घर की सफ़ाई करने को बोला इसके बाद जिन्न घर की सफ़ाई करने लगा। जिन्न से सफ़ाई करते हुए वह बर्तन गिर गया जिसमें जिन्न की चोटी थी। जिन्न ने चोटी को उठा लिया कुम्हार ने उसको यह करते हुए देख लिया।

कुम्हार ने चोटी मांगी लेकिन जिन्न इतना बेवकूफ नहीं था उसने कुम्हार को चोटी नहीं दी और बोला तुमने चालाकी से मेरी चोटी लेकर मुझे गुलाम बना लिया था.

लेकिन अब मै तुम्हारी जो पहले हालत थी वही हालत कर दूंगा। यह कहकर जिन्न ने कुम्हार का घर वैसा ही कर दिया जैसा पहले था और उनके सारे गहने भी ले लिए।

कुम्हार इससे बहुत दुखी हो गया। कुम्हार की बीवी बोली आपके हाथ में बर्तन बनाने का हुनर है आप फिर से बर्तन बनाइये। इसके बाद कुम्हार फिर से बर्तन बनाने लगा।

कहानी से सीख


इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें लालच न करके मेहनत से काम करना चाहिए।

जिस प्रकार कुम्हार अमीर बनना चाहता था और उसने लालच किया लेकिन बाद में उसको अपने किये की सज़ा मिल गयी।

लालच बुरी बला है : छोटे बच्चों की कहानी

राजू नाम का एक किसान रहता था। वह बहुत गरीब था। उसके पास पैसा कमाने के लिए जमीन नहीं थी। उसके पास सुनहरे पंखों वाली केवल सुंदर मुर्गी थी। राजू अपनी मुर्गी से बहुत प्यार करता था।

उसकी मुर्गी प्रतिदिन एक सोने का अंडा देती थी। सोने के अंडे बेचकर सोमू को अच्छा पैसा मिल जाता था। जल्द ही सोमू की शादी हो गई।

उसकी पत्नी हेमलता सुंदर थी लेकिन वह बहुत लालची थी। वह मुर्गी को ठीक से खाना नहीं देना चाहती थी। फिर भी मुर्गी प्रतिदिन एक सोने का अंडा देती थी। एक दिन उसने राजू से कहा, “राजू , हमारी मुर्गी प्रतिदिन एक अंडा देती है। तुम देखो, हम बहुत गरीब हैं। अगर हम मुर्गी का पेट काट दें तो हमें एक बार में सारे अंडे मिल सकते हैं। इसलिए जब हम एक बार में इतने अंडे बेचेंगे, तो हम अमीर बन जाएंगे।”

राजू उसके विचार से सहमत हो गया । अगली सुबह जब मुर्गी ने एक अंडा दिया तो सोमू की पत्नी धारदार चाकू लेकर आगे आई और बाकी अंडे लेने के लिए मुर्गी का पेट काट दिया।

लेकिन उनके दुःख का कोई ठिकाना नहीं था जब उन्होंने पाया कि मुर्गी के पेट में अंडे नहीं थे। उनकी मुर्गी मर चुकी थी और अब उन्हें सोने का एक भी अंडा नहीं मिलेगा। वे पछता रहे थे। वे पहले से ज्यादा गरीब हो गए।

इसलिए ठीक ही कहा गया है कि किसी के पास जो है उसी में संतुष्ट रहना चाहिए।

लालच बुरी बला है : छोटे बच्चों के लिए कहानी

एक शहर में धानुस एक व्यक्ति रहता था जो बहुत धनी था लेकिन अपार धन होने के बावजूद, उसे अधिक पैसे पाने की इच्छा थी।


एक दिन धानुस को पता चला कि शहर में एक चमत्कारी संत आ गया है। वह संत के पास गया, उसे अपने घर में आमंत्रित किया और गर्मजोशी से उसकी सेवा की। धानुस की सेवा से प्रसन्न होकर संत ने जाने से पहले उसे चार लैंप दिए।

चारों लैंप देते हुए संत ने उससे कहा, “बेटा! जब भी आपको धन की आवश्यकता हो, तो पहले लैंप जलाएं और उसे पकड़कर पूर्व दिशा में चलें और जब वह बुझ जाए तो उस स्थान पर खुदाई करें और आपको धन मिलेगा


उसके बाद फिर से यदि आपको धन की आवश्यकता हो तो दूसरा दीपक जलाएं और इसे पश्चिम दिशा में तब तक रखें जब तक यह बुझ न जाए और जब आप वहां खुदाई करेंगे तो आपको जमीन में दबी हुई अपार संपत्ति मिलेगी। अगर तब भी आपकी धन की आवश्यकता पूरी नहीं होती है, तो तीसरा लैंप जलाएं और दक्षिण दिशा में चलें
और उस जगह खोदो जहां यह बुझ जाए और आपको धन मिलेगा। अंत में आपके पास एक लैंप और एक दिशा रह जाएगी लेकिन उस लैंप को कभी भी जलाना मत और उस दिशा में जाना ।” यह कहकर संत चले गए

संत के जाते ही धानुस ने पहले लैंप जलाकर पूर्व की ओर चल दिया, लैंप बुझ गया। जब उसने वहां खुदाई की तो उन्हें एक कलश मिला जो सोने के गहनों से भरा हुआ था। यह देखकर धानुस बहुत प्रसन्न हुआ और उसने अन्य लैंप का भी उपयोग करने का मन बना लिया ।

धानुस ने दूसरा लैंप जलाया और वह सुनसान जगह पर बुझ गया | जहां उसे सोने से भरा एक संदूक मिला। फिर तीसरा लैंप जलाया जो पेड़ के नीचे बुझ गया जहाँ उसे हीरे और मोतियों से भरा एक बर्तन मिला।

इतना सब पाकर भी धानुस और पैसा पाना चाहता था। तो उसने चौथे लैंप के इस्तेमाल करने के बारे में सोचा
यह वह चौथा लैंप जिसे संत ने प्रयोग करने से मना किया था। लेकिन लालच में अंधा होकर उसने सोचा, “और भी धन छिपा होगा लेकिन संत नहीं चाहते कि मैं वहां जाऊं क्योंकि वह उस पैसे को अपने पास रखना चाहते हैं। इसलिए, उन्होंने फैसला किया जल्द से जल्द वहाँ चलना चाहिए ।”

उसने चौथा लैंप जलाया और उत्तर दिशा की ओर चलना शुरू किया और चलते-चलते वह महल के सामने पहुँचे जहाँ लैंप बुझ गया। लैंप बुझने के बाद लालची धानुस ने महल का द्वार खोल दिया और महल में प्रवेश किया और पैसे की तलाश शुरू कर दी।

जब उसने पहले कमरे का दरवाजा खोला तो उसे हीरे-जवाहरात मिले, जिसे देखकर उसकी आंखें नम हो गईं चकाचौंध दूसरे कमरे में उसे सोना मिला। आगे जाने के बाद उसे चक्की की आवाज सुनाई दी |

जब उसने उस आवाज का पीछा किया और उस कमरे का दरवाजा खोला, तो उसने एक बूढ़े आदमी को देखा
चक्की पीसना। आदमी ने उससे पूछा, “तुम यहाँ कैसे आए?

“क्या आप इस चक्की को थोड़ी देर के लिए चलाएंगे? मैं एक ब्रेक लेना चाहता हूं और आराम करते हुए मैं आपको पूरी कहानी बताऊंगा ” मैं यहाँ कैसे और क्यों आया? , बूढ़े आदमी ने कहा।

आदमी ने सोचा कि बूढ़े आदमी को इस महल में और भी पैसे छिपे होने की जानकारी रही होगी तो वह सहमत हो गया।

वह बूढ़े के यहाँ बैठ गया और चक्की चलाने लगा। बूढ़ा उठ खड़ा हुआ और जोर से। हंसने लगा |

यह देखकर आदमी ने पूछा, “तुम इस तरह क्यों हंस रहे हो?” और यह कह कर चक्की चलाना बंद करने वाला था ।

तभी बूढ़े ने कहा, “रुको मत। इस चक्की को चालू रखो। अब से यह महल है तुम्हारा और यह चक्की भी तुम्हारी । आपको इस चक्की को हर समय चलाते रहना है क्योंकि एक बार चक्की रुक जाती है, यह महल ढह जाएगा और तुम इसमें दबे होकर मरोगे।”

गहरी सांस लेते हुए बूढ़े ने आगे कहा, “मैं भी लालच में आकर इस महल में पहुंचा था ,जब संत द्वारा दिया गया अंतिम लैंप जला दिया था । तब से मैं यहां यह चक्की चला रहा हूं। मेरी पूरी जवानी इस चक्की को चलाने में खर्च किया गया था।”

इस प्रकार हमें इस कहानी से समझ आया की लालच बुरी बला है