बच्चो के लिए हास्य कविता ( baccho ke liye Hasya kavita )

बचपन हास्य कविता

फूटा ढोल – प्रकाश मनु –

मेरा भैया गोलमटोल,
दूध-जलेबी जैसे बोल।
दिन भर करता है शैतानी,
रोता जैसे फूटा ढोल।
जब-जब बजता फूटा ढोल,
सारा घर तब उठता डोल!

फूटा ढोल / प्रकाश मनु - Bacccho Ke Liye Hasya Kavita,स्कूल पत्रिका के लिए कविता,
बेहतरीन हास्य कविता,
टीचर पर हास्य कविता,
हास्य कविता सुरेन्द्र शर्मा,
व्यंगात्मक कविता,
छत्तीसगढ़ी हास्य कविता,

एक पराँठा आलू का (Baccho ke liye Kavita)

चुनमुन प्यारा क्या खाएगा?
एक पराँठा आलू का!
मूली वाला गरम पराँठा
यह है मेरे भालू का।

और पराँठा यह पालक का
शायद खाएँगे पापा जी,
भैया खाएँगे मेथी का
संग-संग आलू की भाजी।

मम्मी-मम्मी, अब तुम बोलो
खाओगी ना गरम पराँठा,
गोभी वाला मैं सेकूँगा
खाना हँस-हँस नरम पराँठा।

बेहतरीन हास्य कविता: टूट गया किस्से का तार

टूट गया किस्से का तार
अगड़म-बगड़म गए बाजार
वहाँ से लाए मोती चार,
दो मोती थे टूटे-फूटे
बाकी दो हाथों से छूटे,
अगड़म-बगड़म दोनों रूठे!

आगे आया नया बाजार
पीं-पीं बाजा, सीटी चार,
लेकर बोले अगड़म-बगड़म-
लिख लो, यह सब रहा उधार
पैसे कल ले लेना यार!

अगडत्रम उछल-उछलकर चलता
बगड़म फिसल-फिसलकर बढ़ता,
पीछे पड़ गए कुत्ते चार-
कूद गए पानी में दोनों,
झटपट पहुँचे नदिया पार!

अगड़म रोता इधर खड़ा है
बगड़म भी उखड़ा-उखड़ा है,
अब ना पीं-पीं, अब ना बाजा
फूटा घुटना, फूट गया सिर-
टूट गया किस्से का तार!

कम्प्यूटर पर हास्य कविता,
लड्डू पर कविता,
बचपन पर हास्य कविता,
हास्य कविता परीक्षा,
हास्य कविता भ्रष्टाचार,
हास्य कविता नेता पर,
सब्जियों की कविता,
छोटे बच्चों पर कविता,
Children's Poems,
कविताएँ हिन्दी,
छोटे बच्चों के लिए देशभक्ति कविता,
Flower child poem,
\व्यंगात्मक कविता

पप्पू जी ने रंग जमाया(32 teeth hasya kavita)

पप्पू जी थे खूब रंग में,
पप्पू जी ने रंग जमाया।

गए फील्ड में, खेल-खेल में
ऐसा छक्का एक जमाया,
बॉल न आई हाथ, दर्शकों
का माथा था चकराया।
पप्पू जी सहवाग बने थे,
पप्पू जी ने रंग जमाया।

खेल कबड्डी हुआ पार्क में
पप्पू जी पहुँचे आगे,
ऐसे दावँ चलाए भाई
दौड़-दौड़कर सब भागे।
‘पप्पू जिंदाबाद’ हुआ फिर
सबने कंधे पर बैठाया।

ड्राइंग का घंटा आया तो
पप्पू जी का दिल घबराया,
भारी एक बनाया बस्ता,
चूहा उस पर एक बिठाया।
आहा! हँसकर टीचर बोलीं-
मैडल लेने पास बुलाया!

मिल्ली-टिल्ली | हास्य कविता परीक्षा |

गेंद बनारस से आई थी
कलकत्ते से बल्ला,
दिल्ली में आकर दोनों ने
खूब मचाया हल्ला।

लुधियाने से गुड़िया आई
गुड्डा है लाहौरी,
शादी हुई, बैंड यह बोला-
कैसी बाँकी छोरी!

मिल्ली जामनगर से आई
टिल्ली का घर दिल्ली,
मिल्ली-टिल्ली खेल रही हैं
हँसती-हा-हा, दिल्ली!

हास्य कविता बच्चों के लिए

short hasya kavita in hindi for class 1,
best hasya kavita lyrics,
hasya kavita for kids,
hasya kavita students,
hindi hasya kavita on exams,
famous hasya kavita in hindi,
short hasya kavita in hindi for class 4,
32 teeth hasya kavita,स्कूल पत्रिका के लिए कविता
बेहतरीन हास्य कविता

बबलू जी ने दिल्ली देखी
दिल्ली में एक बिल्ली देखी,
लाल किले पर चढ़कर कूदी
तबीयत उसकी ढिल्ली देखी।

महरौली में बिल्ला देखा
हाँ जी, बागड़बिल्ला देखा,
उस पर भौं-भौं भौंक रहा था
मरियल सा एक पिल्ला देखा।

कनाट प्लेस में भीड़-भड़क्का
दरियागंज में ट्रैफिक बंद,
पों-पों, पीं-पीं कान फोड़ती
भूल गए कविताई, छंद!

स्कूल पत्रिका के लिए कविता

इधर भीड़ थी, उधर भीड़ थी
परेशान बबलू बेचारे,
इसी बीच में जेब कटी तो
दीख गए आँखों में तारे।

बबलू जी घबराकर बोले-
जाएँगे जी, हम अपने घर,
दिल्ली हमको रास न आती
पछताए दिल्ली में आकर!

बंदरलाल की ससुराल(Comedy poems in hindi for kids)

एक दिन सूट पहनकर बढ़िया
भोलू बंदरलाल,
शोर मचाते धूमधाम से
पहुँच गए ससुराल।

गाना गाया खूब मजे से
और उड़ाए भल्ले,
लार टपक ही पड़ी, प्लेट में
देखे जब रसगुल्ले।

खूब दनादन खाना खाया
नही रहा कुछ होश,
आखिर थोड़ी देर बाद ही
गिरे, हुए बेहोश।

फौरन डॉक्टर बुलवाया
बस, तभी होश में आए,
नहीं कभी इतना खाऊँगा-
कहकर वे शरमाए!