गुड फ्राइडे क्या है
भारत में हर जाति के लोग अपने त्यौहार अपनी पद्धति से मनाते है. क्रिश्चियन लोगो का गुड फ्राइडे व ईस्टर बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है,. इसी के साथ गुड फ्राइडे शुक्रवार और ईस्टर रविवार को बनाया जाता है जो क्रिश्चियन समाज के लिये बहुत पवित्र शुक्रवार व रविवार मे से एक है.
गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं। यह त्यौहार ईसाई धर्म के लोगों द्वारा ईसा मसीह को सलीब पर चढ़ाने के कारण हुई मृत्यु के उपलक्ष्य में मनाया है। यह त्यौहार पवित्र सप्ताह के दौरान मनाया जाता है, जो ईस्टर सन्डे से पहले पड़नेवाले शुक्रवार को आता है ।
ईसाई लोग इस दिन को शोक की तरह मनाते हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि यही वो दिन था जिस दिन प्रभु ईसा मसीह को तमाम शारीरक यातनाएं देने के बाद सूली पर चढ़ाया गया था.कहा जाता है कि ईसा ने बहुत कठिन उपवास किये त्याग व आत्म बलिदान किया. आज लोग उसी का अनुसरण करते हुए उनके इस बलिदान को याद करते है और उनके लिये उपवास रखते है.
गुड फ्राइडे का मतलब
कहा जाता है कि 2000 साल पहले यरुशलम में ईसा लोगों को मानवता एकता और अहिंसा का उपदेश दे रहे थे. उनके उपदेशों से प्रभावित होकर वहां के लोगों ने उन्हें ईश्वर मानना शुरू कर दिया. इस बात से वहां धार्मिक अंधविश्वास फैलाने वाले धर्मगुरु उनसे चिढ़ने लग गए.
लोगों के बीच ईसा की बढ़ती लोकप्रियता वहां के ढोंगी धर्मगुरुओं का अखरने लगी. उन्होंने ईसा की शिकायत रोम के शासक पिलातुस से कर दी. उन्होंने पिलातुस को बताया कि खुद को ईश्वरपुत्र बताने वाला यह युवक पापी होने के साथ ईश्वर राज की बातें भी करता है.
शिकायत मिलने के बाद ईसा पर धर्म की अवमानना के साथ राजद्रोह का आरोप लगाया गया. इसके बाद ईसा को क्रूज पर मत्यु दंड देने का फरमान जारी कर दिया गया. कोड़ें-चाबुक बरसाने और कांटों का ताज पहनाने के बाद कीलों से ठोकते हुए सूली पर लटका दिया गया.
ईसा मसीह को लोगो ने जबरदस्ती सूली पर चढ़ा दिया था। लोगो का मानना था की वो कोई भगवान नहीं है बल्कि भगवान होने का नाटक करके लोगो को धोखा दे रहे है। वैसे तो यह एक शोक का दिवस है लेकिन ईसाई धर्म के लोग इसे गुड फ्राइडे के रूप में मनाते है। जिन लोगो ने उन्हें सूली पर लटकाकर सज़ा दी थी उन्हें ईसा ने कुछ नहीं कहा था बल्कि यह बोला थे की ईश्वर इन्हे क्षमा करे यह खुद नहीं जानते की यह क्या कर रहे है। उन्हें सूली पर लटकाने के दो दिन बाद वो ज़िंदा हो गए थे तब उन लोगो को अपनी गलती का एहसास हुआ था लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
इसी दिन ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था और उस दिन फ्राइडे था इसीलिए हर साल अप्रैल में इस फ्राइडे को गुड फ्राइडे के नाम से मनाया जाता है।
ईसा लोगो को मानवता और शांति का सन्देश देते थे लेकिन कुछ लोगो ने उनपर अन्धविश्वास फ़ैलाने का आरोप लगाया और उन्हें मृत्यु दंड की सज़ा मिली। उनका मानना है की ईसा उनके दिल में आज भी ज़िंदा है।
गुड फ्राइडे क्यों मनाते हैं
इस दिन ईसा मसीह की मृत्यु हुई थी उन्ही की याद में ईसाई धर्म के लोग इस दिन को मनाते है। इस दिन लोग चर्च में जाकर भगवान यशु को याद करते है। इस दिन चर्च की घंटी नहीं बजाई जाती है।
शाम के समय लोग काले रंग के कपडे पहन कर एक शोक यात्रा निकालते है। सभी लोग ईसा मसीह पर हुए अत्याचार को याद करते है। ईसा मसीह को 3 घंटे तक क्रॉस पर लटकाकर तड़पाया गया था और उन्हें सज़ा दी गई थी। गुड फ्राइडे को एक प्रार्थना दिवस के रूप में मनाया जाता है। क्रॉस को ईसा मसीह का प्रतिक माना जाता है लोग इसे श्रद्धा के साथ चूमते है और भगवान पर हुए अत्याचार का शोक मनाकर उन्हें दिल से याद करते है।
गुड फ्राइडे के दिन बहुत से लोग समाज के कार्यो के लिए चंदा और दान देते है ।इस दिन सभी लोग दुनिया में प्रेम और विश्वास फ़ैलाने के लिए प्रार्थना करते है।
बहुत से लोग इसदिन प्रेम, सत्य और विश्वास की डगर पर चलने का प्रण लेते है। यह दिन सभी जगह पर अलग अलग तरीके से मनाया जाता है लेकिन सब मिलकर ईसा मसीह को याद करते है।