भूतिया पेड़ की कहानी
यह कहानी है, छोटा सा गांव बड़की खारारी की, सासाराम में एक बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज है जिसका नाम है “शेरशाह इंजीनियरिंग कॉलेज सासाराम” जिसमे चार दोस्त पढ़ते थे|
एक दिन की बात है, सेमेस्टर एग्जाम खत्म ही हुए थे, चारों ने सोचा घूमने चलते हैं| इन लोग घूमने के लिए निकल गए, घूमत – घूमते सुशांत को प्यास लगी , सुशांत ने बोला “भाई मुझे प्यास लगी है| “एक ने बोला चलो आगे चल कर देखते है” आगे जाते जाते एक चापाकल दिखाई दिया| चुकी चारों को प्यास लगी थी, चारो ने पानी पीया|

जुलाई के महीने, तपतपाती धूप चारों दोस्त बैठे ही थे , कि ज़ोर ज़ोर से हवा चलने लगी| एक ने कहा “चलो वापस चलते हैं” दूसरे ने कहा अभी नहीं, अभी तो ब्लॉग भी नहीं बनाए हैं| चुकी इन लोग ब्लॉग बना कर यूट्यूब पर वीडियो डालते थे |
तभी नीरज का ध्यान एक बरगर की पेंड पर पड़ा | नीरज ने बोला, ये हम लोग कहाँ आ गए ,ये देखो ये तो वही पेड़ है| जिसके बारे में गांववालों ने बताया था , तब ही सुमित ने बोला कौन सा पेङ और क्या बताया था गांव वालों ने तो नीरज ने बोला ये कोई मामूली पेङ नहीं है ईस पेङ पर भूत रहता है , तभी तीनों दोस्त हंसने लगे क्या बात कर रहे हो | तुम 2022 के जमाने में ये सब बात विश्वास कर लिए, तभी अंकित ने बोला चलो वही जाकर ब्लॉग बनाते हैं हा,हा,हा| नीरज भी डरते -डरते अपने दोस्तों के साथ उसी पेड़ के तरफ आगे बढ़ने लगा घना पेड़ था|
दूर दूर तक कोई आदमी नहीं दिख रहा था| तभी एक बूढ़ा पुजारी मीला उसने बोला “ रुको कहाँ जा रहे हो, मत जाओ उधर ,खतरा है” उधर चारों दोस्त थोड़ा डरे, फिर सुमित ने बोला बाबा हमलोग को भूतियाँ पेड़ का वीडियो बनाना है ,तभी अंकित के पैर में कोई कीड़ा काटा और फिर सारे दोस्त उसी को देखने लगे और फिर पूछिये मुड़कर देखें तो बूढ़ा पुजारी नहीं था| थोड़ा अजीब लगा सबको , लेकीन बढ़ गए | और फिर उस भूतिया बर्गर के पेड़ के पास पहुंच गए |
सुशांत ने अपने बैग से पानी का बोलते निकला , सब ने पानी पिया | सुमित ने अपना कैमरा निकल विडिओ बनाने लगा | सब चील मूड में लिकिन कुछ ही देर बाद उनलोगो ने कुछ ऐसा देखा की सब की होश उड़ गया | पेड़ के एक हिस्से में अजीब किश्म का कीड़ा दिखा | पेड़ से चिपके ,जो देखने में तो छोटे थे ,लिकिन देखने में भयंकर लग रहे थे | ,उनकी संख्या ज्यादा थी | , देखते ही देखते , आगे बढ़ने लगे ,ऐसा परतीत हो जैसे चारो तरफ से इनसभी को घेर रहे हो| , नीरज ने बोला ” ये क्या ये कैसे है ,ऐसा कीड़ा कभी नहीं देखा| . फिर सुमित ने बोला हमें यहाँ से जल्दी चलना चाहिए | ये बहुत खतरनाक दिख रहे है ,हमें नुकसान पंहुचा सकते है | मेरा मानो और यहाँ से जल्दी चलो | तभी सुशांत काफी देर से संत खड़े बोला नहीं हमें अभी नहीं जाना चाहिए | ,इन्हे ध्यान से देखो ये देखने में कितने छोटे है इन्ही कीड़ो के काटने क वजह से ही गॉव की उस आदमी की मौत हुई होगी | , और सभी क मन में ये डर बैठ गई होगी की यहाँ इस पेड़ पे बहुत रहता है | बात कुछ ऐसी थी की बर्गर के इस विशाल पेड़ के निचे जो भी आदमी इस पेड़ के पास जाता उस कीड़े के चपेट में आजाता था | जोकि काटते समय तो सिर्फ एक चींटी के काटने इतना ही दर्द होता था लिकिन धीरे धीरे तीन – चार दिन में ही इजाल न करने कारण आदमी की मौत भी हो जाती थी | और गॉव में अन्धविश्वाश के कारण लोग समझते थे की उस पेड़ पे भूत रहता है | तभी नीरज ने बोला हमें यहाँ कीटनाशन दवा छिड़काव चाहिए | शायद ये मर जाये ; ” सोच क्या हो सब नीरज बैग में कीटनाशक दवा है छिटो ” सुमित बोला | वो दवा जो सर ने लेन बोले थे ; नीरज ने कहा |
सभी दोस्तों ने बड़ी हिम्मत से काम लिया | उस पेड़ पे और पेड़ के आस – पास कीटनाशक दवा का छिड़काव किया | और वापस कॉलेज आने से पहले पास की अस्पताल में इलाज करने का सोचा |आते समय कुछ गॉव वाले और वो बूढ़ा पुजारी मिला | उनसभी को इस वाक्या के बारे में लड़को ने बताया | और अस्पताल में इलाज कराया | और गॉव में ये यकीन दिलाया कोई बहुत नहीं हैं | ये सिर्फ एक अन्धविश्वास है ,धीरे धीरे सभी ने ये बात मान ली की
उस पेड़ सच में कोई बहुत नहीं बल्कि एक अलग किश्म का कीड़ा था जोकी कीटनाशक दवा छिड़काव होने के कारण सारे मर गए | ,और सारे लोग ख़ुशी पेड़ छाव खाने और उस रास्ता से आने जाने लगे | कुछ दिन बाद , चारो दोस्तों को अपनी सूझ- भुझ इस अन्धविश्वाश को खत्म करने के लिए सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया |
लेखिका: प्रीति सिंह