गणेश चतुर्थी पर निबंध | Ganesha Chathurthi essay in hindi

गणेश चतुर्थी निबंध

सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी एक मुख्य त्योहार है जो भाद्रपद शुक्लपक्ष चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 10 सितम्बर 2021 , शुक्रवार को है। वैसे तो प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी, गणेश जी के पूजन और उनके नाम का व्रत रखने का विशेष दिन होता है। लेकिन भाद्रपद शुक्लपक्ष चतुर्थी को गणेश जी के सिद्धि विनायक रूप की पूजा की जाती है।

शास्त्रों के अनुसार इस दिन गणेश जी दोपहर में अवतरित हुए थे, इसलिए यह गणेश चतुर्थी विशेष फलदायी बताई जाती है। । लोक भाषा में इस त्योंहार को गणेशोत्सव भी कहा जाता है।

गणेश चतुर्थी

गणेश जी की कहानी के अनुसार,एक बार देवी माँ पार्वती ने स्न्नान के लिए जाने से पूर्व अपने शरीर के मैल से एक सुंदर बालक को जन्म दिया और उसे गणेश नाम दिया। पार्वतीजी ने उस बालक को आदेश दिया कि वह किसी को भी अंदर न आने दे, ऐसा कहकर पार्वती जी अंदर नहाने चली गई।

Ganesh Chaturthi essay in hindi

जब भगवान शिव वहां आए ,तो छोटे बालक ने उन्हें अंदर जाने से रोका और कहा अन्दर मेरी मां नहा रही है, आप अन्दर नहीं जा सकते। शिवजी ने गणेशजी को बहुत समझाया कि पार्वती मेरी पत्नी है। पर गणेश नहीं माने तब शिवजी को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने गणेशजी की गर्दन अपने त्रिशूल से काट दी और अन्दर चले गए।

जब पार्वतीजी ने शिवजी को अन्दर देखा तो बोली कि आप अन्दर कैसे आ गये। मैं तो बाहर गणेश को बिठाकर आई थी। तब शिवजी ने कहा कि मैंने उसको मार दिया। तब पार्वती जी कहा कि जब आप मेरे बेटे को वापस जीवित करेंगे तब ही मैं यहाँ से चलूंगी अन्यथा नहीं।

शिवजी ने पार्वती जी को समझने की बहुत कोशिश की पर पार्वती जी नहीं मानी। सारे देवता एकत्रित हो कर पार्वतीजी को मनाया पर वे नहीं मानी।

तब शिव ने विष्णु भगवान से कहा कि किसी ऐसे छोटे बच्चे का सिर लेकर आये जिसकी मां अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही हो। विष्णुजी ने तुरंत गरूड़ जी को आदेश दिया कि ऐसे बच्चे की खोज करके तुरंत उसकी गर्दन लाई जाये। गरूड़ जी के बहुत खोजने पर एक हथिनी ही ऐसी मिली जो कि अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही थी। गरूड़ जी ने तुरंत उस बच्चे का सिर लिया और शिवजी के पास आ गये।

शिवजी ने वह सिर गणेश जी के लगाया और गणेश जी को जीवन दान दिया,साथ ही यह वरदान भी दिया कि आज से कही भी कोई भी पूजा होगी उसमें गणेशजी की पूजा सर्वप्रथम होगी। इसलिए हम कोई भी कार्य करते है तो उसमें हमें सबसे पहले गणेशजी की पूजा करनी चाहिए, अन्यथा पूजा सफल नहीं होती।

Ganesh Chaturthi nibandh

इस 11 दिनों में गणेश जी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है. ये पर्व खासतौर से महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. इस पर्व के दौरान लोग अपने घर में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करते हैं और अन्नत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन (Ganesha Visarjan)  किया जाता है. 

मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त – सुबह 11:06 से दोपहर 01:42 तक

चन्द्रमा के दर्शन से बचने का समय – प्रातः 09:07 से प्रातः 09:26 तक


21 सितंबर, 2021 को गणेश विसर्जन गुरुवार को पड़ता है


चतुर्थी तिथि शुरू होती है – 11:02 PM 10 सितम्बर 2021 को

चतुर्थी तिथि समाप्त होती है – 07:57 अपराह्न २२, २०२० को

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

ganesh chaturthi Arti Lyrics

एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी। 
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया। 
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।। 
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा .. 
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा। 

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। 
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।

गणेश चतुर्थी पर क्या शुभ/अशुभ होता है

गणेश भगवान को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. घर में सुख-समृद्धि और कष्टों को हटाने के लिए लोग घरों में गणेश जी की मूर्ति रखते हैं. इतना ही नहीं, लोग गणेश भगवान की मूर्ति गिफ्ट भी करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं भगवान श्री गणेश को घर में रखने के कुछ नियम होते हैं.

वास्तु के अनुसार अगर इन बातों को नजरअंदाज कर दिया जाए, तो ये अशुभ भी हो सकता है.

घर में यहां न रखें मूर्ति

गणेश भगवान की मूर्ति को घर की किसी दीवार या कौने में बिना सोचे समझे नहीं रख सकते. घर में बाथरूम की दीवार पर गणेश भगवान की मूर्ति न लगाएं. इतना ही नहीं, घर के बेडरूम में भी भगवान गणेश की मूर्ति लगाना शुभ नहीं होता. ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में कलह और पति-पत्नी के बीच बेवजह तनाव बना रहता है.

नृत्य करती मूर्ति न लाएं


वास्तुशास्त्र के अनुसार भगवान गणेश की नृत्य करती हुई मूर्ति घर में न लाएं और न ही किसी को उपहार में दें. ऐसा कहा जाता है कि गणेश जी की नृत्य करती हुई मूर्ति घर में लगाने से घर में कलह-कलेश होता रहता है. वहीं, अगर किसी को गिफ्ट में दे दो तो उनके घर भी कलह-कलेश होने लगता है.

लड़की की शादी में न दें गणेश

ऐसा कहा जाता है कि गणेश जी की मूर्ति किसी लड़की की शादी में देना अशुभ होता है. ऐसा इसलिए कहा जाता है कि लक्ष्मी और गणेश हमेशा साथ होते हैं. ऐसे में घर की लड़की के साथ गणेश जी भी दे देंगे तो घर की समृद्धि भी उनके साथ चली जाती है.

बाईं ओर हो सूंड


अगर आप घर के लिए गणपति लेने जा रहे हैं तो इस तरह के गणपति खरीदें जिनकी सूंड बाईं ओर की तरफ हो. घर के लिए हमेशा वाममुखी गणपति लाने चाहिए. क्योंकि दाईं ओर सूंड वाले गणपति की पूजा करने के लिए विशेष पूजा के नियमों का पालन करना पड़ता है.

संतान प्राप्ति के लिए लाएं बाल स्वरूप

वास्तुशास्त्र के अनुसार नवविवाहित जोड़ा या फिर संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले लोगों को घर में गणपति के बाल स्वरूप की मूर्ति रखनी चाहिए. मान्यता है कि इससे माता-पिता के प्रति सम्मान रखने वाली संतान की प्राप्ति होती है. वहीं, नौकरी और व्यवसाय की दिक्कतें दूर करने के लिए घर में गणपति के सिंदूरी स्वरूप की फोटो लगानी चाहिए. इससे दिक्कतें दूर होती हैं और सफलता मिलती है.

बैठी मुद्रा में हो गणपति

कहा जाता है कि अगर आप घर के लिए गणपति लेने जा रहे हैं तो गणपति की बैठी हुई मूर्ति को शुभ माना जाता है. ऐसी मूर्ति की पूजा करने से स्थाई लाभ होता है. इतना ही नहीं, इस दौरान आने वाली रुकावटें भी दूर हो जाती हैं.

गणपति की ऐसी मूर्ति न लें जिसमें गणेश के कंधे पर नाग के रूप में जनेउ न हो. ऐसी मूर्ति को भी अशुभ माना जाता है, जिसमें गणेश जी का वाहन न हो. ऐसी प्रतिमा की पूजा करने से दोष लगता है. गणेश की ऐसी मूर्ति की स्थापना करें जिनके हाथों में पाश और अकुंश दोनो हो. शास्त्रों में गणपति के ऐसे ही रूप का वर्णन मिलता है