ईस्टर पर्व क्या है
Easter ईस्टर ईसाइयों का सबसे बड़ा पर्व है। ईसा मसीह के पुनर्जीवित होने की खुशी में ईस्टर पर्व मनाया जाता है. मान्यताओं के अनुसार गुड फ्राइडे के तीसरे दिन ईसा मसीह दोबारा जीवित हो गए थे, जिसे ईसाई धर्म के लोग ईस्टर संडे के नाम से मनाते हैं. ईस्टर खुशी का दिन होता है।ईस्टर का पर्व नव जीवन के बदलाव के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। ‘
ईस्टर मीनिंग इन हिंदी
‘ईस्टर’ का मतलब ईस्टर शब्द की उत्पत्ति जर्मन के “ईओस्टर” शब्द से हुई हैं जिसका अर्थ देवी हैं।
इसे वो मृतोत्थान दिवस या मृतोत्थान रविवार भी कहते हैं । 26 और 36 ई.प. के बीच में हुई उनकी मृत्यु और उनके जी उठने के कालक्रम को अनेकों तरीके से बताया जाता है।
ईस्टर की आराधना उषाकाल में महिलाओं द्वारा की जाती है क्योंकि इसी वक्त यीशु का पुनरुत्थान हुआ था . ईस्टर के दिन उषाकाल में होने वाली प्रार्थना के बाद दोपहर 12 बजे से पूर्व में भी आराधना होती है। इसमें पुनरुत्थान प्रवचन व प्रार्थना होती है।
क्रिसमस के अलावा ईस्टर ईसाई धर्म का सबसे बड़ा पर्व है. दोनों ही पर्व ईसाह मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाए जाते हैं. इस बार Easter 2021-ईस्टर 12 अप्रैल के दिन मनाया जा रहा है. ईस्टर एक गतिशील त्यौहार है, जिसका अर्थ है कि ये नागरिक कैलेंडर के अनुसार नहीं चलता.
ईस्टर पर्व क्यों मनाया जाता है
ईसाई धर्म के अनुसार हजारों साल पहले गुड फ्राइडे के दिन ईसाह मसीह को यरुशलम की पहाड़ियों पर सूली पर चढ़ाया गया था. इसके बाद गुड फ्राइड के तीसरे दिन यानी पहले संडे को ईसाह मसीह दोबारा जीवित हो गए थे. माना जाता है कि पुनर्जन्म के बाद ईसा मसीह करीब 40 दिन तक अपने शिष्यों के साथ रहे थे. इसके बाद वे हमेशा के लिए स्वर्ग चले गए थे. शुरुआती समय में ईसाई धर्म को मानने वाले अधिकांश यहूदी थे। जिन्होंने प्रभु यीशु के जी उठने को ईस्टर घोषित कर दिया।
इसलिए ईस्टर पर्व का जश्न पूरे 40 दिन तक मनाया जाता है. लेकिन आधिकारिक तौर पर ईस्टर पर्व 50 दिनों तक चलता है. इस पर्व को ईसाई धर्म के लोग बड़ी धूम-धाम और उत्साह से मनाते हैं.
मृतोत्थान ने यीशु को ईश्वर के एक शक्तिशाली पुत्र के रूप में स्थापित किया और इस बात को उद्धृत करते हुए प्रमाण दिया कि ईश्वर इस सृष्टि का न्यायोचित इंसाफ करेंगे.
“मृत्यु के बाद यीशु के जी उठने द्वारा ईश्वर ने ईसाइयों को एक नए जन्म की जीती-जागती आशा दी.” ईश्वर के कार्य पर विश्वास के साथ ईसाई आध्यात्मिक रूप से यीशु के साथ ही पुनर्जीवित हुए ताकि वो जीवन को एक नए तरीके से जी सके.
ईस्टर कैसे मनाया जाता है
ईस्टर सन्डे के दिन सभी लोग सुबह फिर से एकत्रित होते हैं और गिरजाघर में मोमबत्ती जलाकर ईसा के पुन:जीवित होने की ख़ुशी मनाते हैं। ईसा की अराधना करते हैं और प्रभु भोज में शामिल होते हैं। भोज करने के बाद एक दुसरे को ईसा के दुबारा जीवित होने की शुभकामनाएं देते हैं।
- ईस्टर पर्व के पहले सप्ताह को ईस्टर सप्ताह कहा जाता है. लोग प्रार्थना करते हैं, व्रत रखते हैं.
- चर्चों को खास तौर पर सजाया जाता है.
- इस दिन चर्च में मोमबत्तियां जलाई जाती हैं. कई लोग इस दिन अपने घरों को भी मोमबत्तियों से रौशन करते हैं. असंख्य मोमबत्तियां जलाकर प्रभु यीशु में अपने विश्वास प्रकट करते हैं। यही कारण है कि ईस्टर पर सजी हुई मोमबत्तियां अपने घरों में जलाना तथा मित्रों में इन्हें बांटना एक प्रचलित परंपरा है।
- ईस्टर डे के दिन विशेष तौर पर बाइबल का पाठ किया जाता है.
ईस्टर पर अंडे का महत्व
ईस्टर पर्व पर अंडे का खास महत्व होता है. लोग ईस्टर पर्व पर अंडे सजाकर एक दूसरे को गिफ्ट करते हैं. उनकी मान्यता है कि अंडे अच्छे दिनों की शुरुआत और नए जीवन का संदेश देते हैं. दरअसल, लोगों का मानना है कि अंडे में से जिस तरह एक नया जीवन उत्पन्न होता है, वह लोगों को नई शुरुआत का संदेश देता है.