बात उन दिनों की है जब मैं दिल्ली से लखनऊ अपने किसी काम के लिए अपनी ही गाड़ी से जा रहा था. समय जनवरी का था. जनवरी मैं कोहरे के साथ सर्द हवाएं भी चलती है. मुझे घर से निकलते निकलते लगभग रात के 8 बज गए थे. मैं एकेला ही लखनऊ जा रहा था
रात को जब मैं दिल्ली से लगभग 210 मील दूर पंहुचा तो कोहरा बहुत ही ज्यादा बढ़ गया था. तो मैंने कहीं पर रात रुकने की सोची तो कुछ ही दूर मुझे एक कॉटेज दिखाई पड़ा और मैं वहाँ पर चला गया. मैंने उस कॉटेज मैं एक रूम बुक कराया और कुछ खाकर सोने के लिए चला गया. कॉटेज बहुत ही पुराना था मानो ऐसा लग रहा था की यहाँ पर कोई इंसान नहीं बल्कि शैतान बस्ते है. एक दम सुनसान और कोई भी इंसान नहीं. मैं रात को सो रहा था तो मुझे लगभग 12.30 बजे किसी की पायल की आवाज सुनाई दी ,
पायल की आवाज़ :-
तो मैं तुरंत ही खड़ा हो गया और ये देखने खिड़की के पास गया की कोण आधी रात मैं घूम रहा है. क्योकि कॉटेज मैं तो मेरे और मैनेजर के अलावा और कोई भी नहीं है. तो फिर ये औरत के पायल की आवाज़ कैसे मुझे सुनाई दे रही है. मुझे कोई भी नज़र नहीं आया तो मैंने रूम से मैनेजर को कॉल की तो उसने कहाँ की सेर कोई भी नहीं है , आपको हवा से ऐसा लग रहा होगा, वैसे भी ये जंगल इलाका है सेर यहाँ पर तो हलकी आवाज़ भी तूफान की तरह लगती है.
भूतो का गांव
आप सो जय ऐसा कुछ भी नहीं है. और मैं मैनेजर की बातो पर विश्वास करके दोबारा से सोने के लिए चला गया. कुछ देर बाद मुझे फिर से पायल की आवाज़े आने लग गयी. अबकी बार तो मैंने दरवाजा खोला और बाहर गार्डन मैं देखने के लिए खुद ही चला गया. मैंने देखा की कोई औरत जंगल की और चली ही जा रही थी वो भी सफेद साड़ी पहने. मैंने उसको आवाज़ भी लगाई लेकिन वो बिना सुने ही जंगल की और चलती ही जा रही थी. और मैं आवाज लगते हुए उसके पीछे पीछे. थोड़ी ही देर मैं वहाँ पर कोहरा पूरी तरह से छा गया था.
वो आदमी एक भूत था
मुझे अब वो औरत बिलकुल भी नज़र नहीं आ रही थी. लेकिन मुझे उसकी पायल की आवाज़ अब भी साफ़ सुनाई दे रही थी की मानो वो मेरे आगे नहीं बल्कि मेरे साथ साथ ही चल रही हो. मैं अब बहुत ही ज्यादा डर चूका था मुझे अब कॉटेज वापिस आने का रास्ता भी नज़र नहीं आ रहा था. मैं सोच रहा था की अब मैं वापिस कैसे अपने कॉटेज जाओगे क्योकि मैं जंगल मैं बहुत ही आगे आ चूका था. लेकिन वो पायल की आवाज मेरा पीछा नहीं छोड़ रही थी.
एक हवैली
bhoot ki kahaniya, वो मेरे साथ साथ ही थी. अब मैंने ज़ोर ज़ोर से चिल्लाना शुरू कर दिया और उधर उधर भागने लगा. की तभी कुछ दूर बाद मुझे कॉटेज का मैनेजर मिल गया जो की मुझे अपने साथ वापिस कॉटेज ले गए और उस औरत के बारे मैंने बताने लग गया जिसकी पायल की आवाज़ मुझे सुनाई दे रही थी. इसी कॉटेज मैं उसकी आत्मा आज भी इस कॉटेज के आस पास भटकती रहती है.
वह मकान भले ही बंद था, मगर लोगो का कहना था, यहां पर उस भूत की दहशत बहुत अधिक है, जो दिखाई भी नहीं देता है, हमे तो उस जगह के पास जाने से भी डर लगता है, जब यह बात सभी लोग करते है, वह लड़का जोकि आज अपने गांव में आया था, वह हंसने लगता है, क्योकि वह शहर से आया था, वह इस बात पर यकीन नहीं करता है, वह लोग कहते है, तुम्हे हंसी आ रही है, जबकि भूत होते है