शरीर के सात चक्र | 7 chakra meditation in hindi

चक्र क्या है ( Chakras Meditation in hindi )


मानव शरीर की सरचना पंच तत्व आधारित हुई हैं । आध्यात्मिक दृष्टि से 7 चक्रों के माध्यम से बॉडी को संतुलित रख सकते हैं । इसे चक्र Meditation भी कहा जाता है ।

ये चक्र मानव बॉडी को बीमारियों से दूर रखता है । ज्यादातर लोगो ने चक्र या बिंदू के बारे में सुना हैं, जिनका एनर्जी के केंद्र के रुप में किया जा सकता हैं ।

जो मानव तंत्र में विभिन्न स्थानो पर हैं । प्रत्येक बिंदू से जुडे उप-बिंदू होते हैं और पॉइंट के बीच के स्थान में ढेरों सूक्ष्म तंतुओं से बुना एक जाल होता हैं ।

जैसे जैसे हम आगे बढते है, हम इन पॉइंट्स और बीच की परतो से होकर गुजरते हैं । यह सब मिलकर एक जाल बनाते हैं जिसे मनुष्य के अध्यात्मिक शरीर की संरचना कहा जा सकता हैं ।

7 चक्र ध्यान (seven chakra Meditation Technique)

हृदय से लेकर सिर के पीछे तक तेरह मुख्य बिंदू हैं । हृदय वो जगह हैं जहा से हम अपनी अध्यात्मिक यात्रा शुरु करतें हैं, इसलिये चालिये, हृदय के चारों ओर के पॉइंट्स की पहचान से ही शुरु करें, यह पॉइंट 1 के रुप में भी जाना जाता हैं । चक्र Meditation सात प्रकार के होते हैं तो चलिए जानते हैं

मूलाधार चक्र (Root chakra in hindi)

यह शरीर का पहला चक्र है। गुदा और लिंग के बीच 4 पंखुरियों वाला यह ‘आधार चक्र’ है। मुलाधार चक्र हमारी रीढ की हड्डी को सबसे निचले पार्ट के आसपास स्थित होता हैं |  मुलाधार चक्र को शक्ति केंद्र भी कहा जाता है । यह चक्र हमारी वासना (sex) को संचारित करता । यह चक्र को कुल कुण्डलिनी का मुख्य स्थान कहा जाता हैं । इसे भौम मंडल भी कहा जाता हैं ।

99.9% लोगों की चेतना इसी चक्र पर अटकी रहती है और वे इसी चक्र में रहकर मर जाते हैं। जिनके जीवन में भोग, संभोग और निद्रा की प्रधानता है उनकी ऊर्जा इसी चक्र के आसपास एकत्रित रहती है।

भौतिक रुप से आरोग्य और सुगंध इसी चक्र से नियंत्रित होते हैं ।

मंत्र : लं

चक्र जगाने की विधि : मनुष्य तब तक पशुवत है, जब तक कि वह इस चक्र में जी रहा है | इसीलिए भोग, निद्रा और संभोग पर संयम रखते हुए इस चक्र पर लगातार ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। इसको जाग्रत करने का दूसरा नियम है | यम और नियम का पालन करते हुए साक्षी भाव में रहना।

प्रभाव : इस चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति के भीतर वीरता, निर्भीकता और आनंद का भाव जाग्रत हो जाता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए वीरता, निर्भीकता और जागरूकता का होना जरूरी है।

स्वाधिष्ठान चक्र: Sacral chakra in hindi

स्वाधिष्ठान चक्र का रुप अर्ध चंद्राकार हैं, यह जल तत्व का चक्र है और प्रजनन से जुड़ा है ।  यह वह चक्र है, जो लिंग मूल से 4 अंगुल ऊपर स्थित है जिसकी 6 पंखुरियां हैं। इस चक्र का बीजमंत्र हैं “वं” इस चक्र को तामसिक चक्र माना जाता हैं । यह मानव शरीर के  रचनात्मक, प्रजजन एवं मानसिक रूप से भावात्मक सुख में निहित है ।

अगर आपकी ऊर्जा इस चक्र पर ही एकत्रित है तो आपके जीवन में आमोद-प्रमोद, मनोरंजन, घूमना-फिरना और मौज-मस्ती करने की प्रधानता रहेगी। यह सब करते हुए ही आपका जीवन कब व्यतीत हो जाएगा आपको पता भी नहीं चलेगा और हाथ फिर भी खाली रह जाएंगे।

मंत्र : वं

कैसे जागृत करें : जीवन में मनोरंजन जरूरी है, लेकिन मनोरंजन की आदत नहीं। मनोरंजन भी व्यक्ति की चेतना को बेहोशी में धकेलता है। फिल्म सच्ची नहीं होती लेकिन उससे जुड़कर आप जो अनुभव करते हैं वह आपके बेहोश जीवन जीने का प्रमाण है। नाटक और मनोरंजन सच नहीं होते।

प्रभाव : इसके जाग्रत होने पर क्रूरता, गर्व, आलस्य, प्रमाद, अवज्ञा, अविश्वास आदि दुर्गणों का नाश
होता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि उक्त सारे दुर्गुण समाप्त हों तभी सिद्धियां आपका द्वार खटखटाएंगी।

मणिपुर चक्र: Solar Plexus chakra in hindi

◆ मणिपूर चक्र – मणिपूर चक्र नाभि के ठिक पीछे रीढ की हड्डी पर होता हैं । चक्र की आकृती त्रिकोण हैं । यह चक्र पाचन क्रिया से जुड़ा है । यह सन्तुष्टि के भाव में वृद्धि करता है । नाभि के मूल में स्थित यह शरीर के अंतर्गत मणिपुर नामक तीसरा चक्र है, जो 10 कमल पंखुरियों से युक्त है।

जिस व्यक्ति की चेतना या ऊर्जा यहां एकत्रित है उसे काम करने की धुन-सी रहती है। ऐसे लोगों को कर्मयोगी कहते हैं। ये लोग दुनिया का हर कार्य करने के लिए तैयार रहते हैं।

मंत्र : रं

कैसे जागृत करें : आपके कार्य को सकारात्मक आयाम देने के लिए इस चक्र पर ध्यान लगाएंगे। पेट से श्वास लें।

प्रभाव : इसके सक्रिय होने से तृष्णा, ईर्ष्या, चुगली, लज्जा, भय, घृणा, मोह आदि कषाय-कल्मष दूर हो जाते हैं। यह चक्र मूल रूप से आत्मशक्ति प्रदान करता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए आत्मवान होना जरूरी है। आत्मवान होने के लिए यह अनुभव करना जरूरी है कि आप शरीर नहीं, आत्मा हैं।
आत्मशक्ति, आत्मबल और आत्मसम्मान के साथ जीवन का कोई भी लक्ष्य दुर्लभ नहीं।

अनाहत चक्र: Heart chakra in hindi

 अनाहत चक्र ( Heart chakra ) – अनाहत चक्र का रंग हरा होता हैं । यह चक्र दोनो छाती के बीच में होता हैं । यह चक्र मनुष्य के प्रेम दया भावना, करुणा से संबंधित हैं । तनावपूर्ण स्थितियों को निपटने में सहयोग करता हैं ।

हृदयस्थल में स्थित द्वादश दल कमल की पंखुड़ियों से युक्त द्वादश स्वर्णाक्षरों से सुशोभित चक्र ही अनाहत चक्र है। अगर आपकी ऊर्जा अनाहत में सक्रिय है तो आप एक सृजनशील व्यक्ति होंगे। हर क्षण आप कुछ न कुछ नया रचने की सोचते हैं। आप चित्रकार, कवि, कहानीकार, इंजीनियर आदि हो सकते हैं।

मंत्र : यं

कैसे जागृत करें : हृदय पर संयम करने और ध्यान लगाने से यह चक्र जागृत होने लगता है। खासकर रात्रि को सोने से पूर्व इस चक्र पर ध्यान लगाने से यह अभ्यास से जागृत होने लगता है और सुषुम्ना इस चक्र को भेदकर ऊपर गमन करने लगती है।

प्रभाव : इसके सक्रिय होने पर लिप्सा, कपट, हिंसा, कुतर्क, चिंता, मोह, दंभ, अविवेक और अहंकार समाप्त हो जाते हैं। इस चक्र के जाग्रत होने से व्यक्ति के भीतर प्रेम और संवेदना का जागरण होता है। इसके जाग्रत होने पर व्यक्ति के समय ज्ञान स्वत: ही प्रकट होने लगता है। व्यक्ति अत्यंत आत्मविश्वस्त, सुरक्षित, चारित्रिक रूप से जिम्मेदार एवं भावनात्मक रूप से संतुलित व्यक्तित्व बन जाता है। ऐसा व्यक्ति अत्यंत हितैषी एवं बिना किसी स्वार्थ के मानवता प्रेमी एवं सर्वप्रिय बन जाता है।

विशुद्ध चक्र : Throat chakra

विशुद्ध चक्र – गले के मध्य में हैं । इसका रंग गहरा नीला होता हैं । इसके बंद होने से मनुष्य सही तरिके से अपनी बात कह नहीं पाता हैं । यानी इनका प्रभाव वाणी पर होता है । यह चक्र अभिव्यक्ति, सवांद सप्रेषण एवं स्वतंत्र विचारों पर कंट्रोल करता है ।

कंठ में सरस्वती का स्थान है, जहां विशुद्ध चक्र है और जो 16 पंखुरियों वाला है। सामान्य तौर पर यदि आपकी ऊर्जा इस चक्र के आसपास एकत्रित है तो आप अति शक्तिशाली होंगे।

मंत्र : हं

कैसे जागृत करें : कंठ में संयम करने और ध्यान लगाने से यह चक्र जागृत होने लगता है।

प्रभाव : इसके जागृत होने कर 16 कलाओं और 16 विभूतियों का ज्ञान हो जाता है। इसके जागृत होने से जहां भूख और प्यास को रोका जा सकता है वहीं मौसम के प्रभाव को भी रोका जा सकता है।

आज्ञाचक्र ( Third eye in hindi )

आज्ञाचक्र– मणिपूर चक्र माथे पर दोनों भौहोँ के बीच होता हैं । इसे तीसरी आँख भी कहा जाता है । इसका रंग गहरा नारंगी होता हैं । यह सिर के अंदर के सभी अंगो तथा ग्रथियों को प्रभावित करता हैं । इसका मंत्र “ओम” हैं । यह चक्र मानसिक सबलता के साथ शुद्ध अन्तःकरण से व्यवहार एवं अहं भाव को खत्म कर मार्गदर्शन प्रदान करता है ।

भ्रूमध्य (दोनों आंखों के बीच भृकुटी में) में आज्ञा चक्र है। आम तौर पर जिस व्यक्ति की ऊर्जा यहां ज्यादा सक्रिय है तो ऐसा व्यक्ति बौद्धिक रूप से संपन्न, संवेदनशील और तेज दिमाग का बन जाता है लेकिन वह सब कुछ जानने के बावजूद मौन रहता है। इसे बौद्धिक सिद्धि कहते हैं।

मंत्र : उ

कैसे जागृत करें : भृकुटी के मध्य ध्यान लगाते हुए साक्षी भाव में रहने से यह चक्र जागृत होने लगता है।

प्रभाव : यहां अपार शक्तियां और सिद्धियां निवास करती हैं। इस आज्ञा चक्र का जागरण होने से ये सभी शक्तियां जाग पड़ती हैं और व्यक्ति सिद्धपुरुष बन जाता है।

सहस्रार चक्र (Crown chakra in hindi)

सहस्त्रार चक्– सहस्त्रार चक्र सिर के उस हिस्से में जहा छोटे बच्चे का तालू धडकता हुआ देखा जा सकता हैं । इसका रंग Purple /white होता हैं । यह मानव के भीतरी रूप से बुद्धि, मानसिक भावना एवं शारिरिक रूप से जैसे मृत्यु से सम्बंधित हैं । यानी परमात्मा का एहसास होने लगता है ।

सहस्रार की स्थिति मस्तिष्क के मध्य भाग में है मतलब जहां चोटी रखते हैं। यदि व्यक्ति यम, नियम का पालन करते हुए यहां तक पहुंच जाए तो वह आनंदमय शरीर में स्थित हो गया है। ऐसे व्यक्ति को संसार, संन्यास और सिद्धियों से कोई मतलब नहीं रहता है।

मंत्र : ॐ

कैसे जागृत करें : मूलाधार से होते हुए ही सहस्रार तक पहुंचा जा सकता है। लगातार ध्यान करने से यह चक्र जाग्रत हो जाता है और व्यक्ति परमहंस के पद को प्राप्त कर लेता है।

प्रभाव : शरीर संरचना में इस स्थान पर अनेक विद्युतीय और जैवीय विद्युत का संग्रह है। यही मोक्ष का द्वार है।

चक्र ध्यान विधि


अक्सर मनुष्य के निचे के 3 चक्र जागृत होते हैं । वह शारिरीक स्तर पर जीवन जीता हैं । सांसारिक एवं भौतिक आवश्यकता इससे बढकर वह ज्यादा सोचता हैं । बल्कि जब वो अपने उपर के अध्यात्मिक चक्रो को Active करने लगता हैं तो वो इन संसारिक परिस्थितियों से उपर उठने लगता हैं ।

आरामदायक स्थिति में बैठकर अपनी अस्थि पंजा ( रीढ़ की हड्डी ) को सीधा करते हुए बॉडी के प्रत्येक अंग को ध्यान में लाये ।


अपनी गहरी सांसों को ध्यान में लेते हुए फेफड़ों से नासिक तक बाहर निकालने का आभास करें । फिर आराम की अनुभूति करे । अब सांसो के साथ धड़कनों को भी ध्यान में लाये । फिर धीरे धीरे चारो तरफ एनर्जी लेवल के घेरे को महसूस करेंगे । चक्रों को संतुलित करने के लिए रंगों पर गौर करें । प्रति चक्र के लिए कम से कम 5 से 10 सांसे रोके फिर ले ।

अब प्रथम चक्र से सातवे चक्र तक आप धरती से आसमान तक की असीम ऊर्जा की अनुभूति करेंगे । अब अंत में अपनी सांस को धीरे धीरे ध्यान में लाते हुए आँखे खोले । फिर खुली आंख से दोहराये आप ताज़गी का आभास करेंगे ।

चक्र ध्यान के फायदे (Benefits of chakra meditation in hindi)


कभी हमारा संतुलन न होने की वजह से भी जीवन का लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकते हैं ।

ऐसे में Chakra Meditation एक प्रमुख कड़ी है जिससे हम आत्म संतुलन रख सकते हैं । ध्यान से हमारे सातों चक्र सक्रिय हो जाते हैं । जिससे हम अपना शारिरिक व मानसिक सतुलन रख सकते हैं । Meditation से न केवल फिज़िकली बल्कि मानसिक रूप से आप स्वस्थ रहेंगे । तो चलिए जानते Benefits of chakra meditation

एकाग्रता – सातों चक्र खुल जाने से मनुष्य की एकांग्रता में वृद्धि होती है जिसे वह किसी भी कार्य को बेहतर तरीके से करने में सफल होता हैं ।

स्वस्थ तन व मन – इन 7 चक्रों के जागृत होने से आपका शारिरिक एवं मानसिक रूप हमेशा तरोताजा महसूस करेंगे । जिसे आप किसी भी कार्य को पूर्ण शक्ति के साथ कर सकते हैं ।

आत्मविश्वास – chakra meditation से आपकी निज शक्ति में इजाफा होगा । आप किसी भी कार्य को पूर्ण आत्मविश्वास से करने में सफल रहेंगे ।

आनंदमय जीवन – इन 7 चक्रों के जागृत होने से आप अपना जीवन बहुत ही आनंदमय जीवन जीने में सफल रहेंगे । यानी आपके भीतर सारी शक्ति होगी जो जीवन में समय समय पर चाहिए होगी हैं जैसे धैर्य, एकांग्रता, आत्मविश्वास, भरोसा, विपरीत परिस्थितियों में पथ भृमित न होना एवं शारिरिक एवं मानसिक रूप से सन्तुलन । यानी आप स्वयं से जुड़े रहेंगे ।

अगर इनमें से कोई भी चक्र काम करना बंद कर दे तो सम्बंधित अंगो में बीमारी प्रकोप होने के चान्सेस बढ़ जाते हैं । इन 7 चक्रों को 3 हिस्सो में बाटा गया हैं । नीचे के 3 चक्र शारिरिक तथा उपर के 3 चक्र अध्यात्मिकता से जोडते हैं । मध्यम एक अनाहत चक्र हैं जो इन दोनो को जोडने का काम करता हैं ।