सोहन रोज अपने पिता के साथ पहाड़ों पर टहलने जाया करता था| एक दिन जब दोनों टहल रहे थे तब सोहन ने
अपने पिता से कहा- “पापा, चलो आज हम दौड़ लगाते हैं और जो पहले उस ऊंचाई पर पहुंचेगा, वह जीत जाएगा|
पिता ने उसकी बात मान ली और दौड़ शुरू हो गई| कुछ दूर दौड़ने के बाद ही अचानक पिता रुक गए| अपने पिता
को रुकते देख बच्चे ने पूछा- क्या हुआ पापा, आप अचानक क्यों रुक गए? पिता ने कहा- जूतों में कुछ कंकड़ घुस
गए हैं, उन्हें निकालने के लिए मैं रुका हूँ|
यह सुनने के बाद सोहन बोला- पापा, मेरे जूतों में भी बहुत सारे कंकड़ हैं, लेकिन मेरे पास उन्हें निकालने के लिए वक्त नहीं है| यह कहकर बच्चा दौड़ने लगा और पिता ने भी कंकड़ निकालने के बाद दौड़ना शुरू कर दिया|
कुछ समय दौड़ने के बाद सोहन को वह पत्थर चुभने लगे और उसे बहुत दर्द होने लगा जिसकी वजह से उसके दौड़ने की गति धीमी होती गई और उसके पिता आगे निकल गए| सोहन ने रोते हुए पिता को आवाज लगाई, “मैं अब नहीं दौड़ सकता हूं| पिता उसके पास आए और उसके जूते निकाल कर देखा तो उसके पैर खून से लथपथ थे|
वह उसे घर लेकर आए और उस पर दवाई लगाई| पिता ने उसे समझाया कि कुछ परेशानियां जो हमारी जिंदगी में आती हैं उन्हें हम यह कहकर नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं कि अभी हमारे पास समय नहीं है|
यही परेशानियां आगे चलकर बड़ी बन जाती हैं और हमारे हारने का कारण बन जाती हैं| हमें अपनी परेशानियों का हल तुरंत ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए तथा उसे तुरंत खत्म करना चाहिए|
हमारी जिंदगी में बहुत परेशानियां आती हैं लेकिन उसे हम बड़ी बनाकर रोते रहते हैं, अगर हम चाहे तो उस समस्या का समाधान
तुरंत कर सकते हैं| अगर हम हमेशा ऐसा करते हैं तो हम अपनी दौड़ के विजेता जरूर होंगे|